________________
बारहवें श्रुताङ्ग दृष्टिवादका परिचय
६१ सूत्ररूपसे षट्खंडागमके भीतर किया। इस पाहुडके जो चौवीस अवान्तर अधिकार थे, उनके विषयका संक्षेप परिचय धवलाकारने वेदनाखंडके आदिमें कराया है जो इस प्रकार है१ कदि-कदीए ओरालिय-वेउब्विय-तेजाहार- १ कृति-कृति अर्थाधिकारमें औदारिक, कम्मइयसरीराणं संघादण-परिसादणकदी- वैक्रियिक, तैजस, आहारक और कार्मण, ओ भव-पढमापढम-चरिमम्मि हिंदजीवाणं इन पात्रों शरीरोंकी संघातन और परिकदि-णोकदि-अवत्तव्वसंखाओ च परूवि- शातनरूप कृतिका तथा भवके प्रथम, जंति ।
अप्रथम और चरम समयमें स्थित जीवोंके कृति, नोकृति और अवक्तव्यरूप संख्या
ओंका वर्णन है। २ वेदणा-वेदणाए कम्म-पोग्गलाणं वेदणा- २ वेदना-वेदना अर्थाधिकारमें वेदनासंज्ञिक सण्णिदाणं वेदण-णिक्खेवादि-सोलसेहि कर्मपुद्गलोंका वेदनानिक्षेप आदि सोलह अणिओगद्दारेहि परूवणा कीरदे।
अधिकारोंके द्वारा वर्णन किया गया है। ३ फास-फासणिओगद्दारम्मि कम्म-पोग्गलाणं ३ स्पर्श-स्पर्श अर्थाधिकारमें स्पर्श गुणके
णाणावरणादिभेएण अट्ठभेदमुवगयाणं फास- संबन्धसे प्राप्त हुए स्पर्शनिर्माण, स्पर्शगुणसंबंधेण पत्त-फासणीमाण-फासणिक्खे- निक्षेप आदि सोलह अधिकारोंके द्वारा वादिसोलसेहि अणियोगद्दारेहि परूवणा ज्ञानावरणादिके भेदसे आठ भेदको प्राप्त कीरदे ।
हुए कर्मपुद्गलोंका वर्णन किया गया है । ४ कम्म-कम्मेत्ति अणिओगद्दारे पोग्गलाणं ४ कर्म-कर्म अर्थाधिकारमें कर्मनिक्षेप आदि
णाणावरणादिकम्मकरणक्खमत्तणेण पत्त- सोलह अधिकारोंके द्वारा ज्ञानावरणादि कम्मसण्णाणं कम्मणिक्खेवादिसोलसेहि कर्मकरणमें समर्थ होनेसे जिन्हें कर्मसंज्ञा अणियोगद्दारेहि परूवणा कीरदे ।
प्राप्त हो गई है, ऐसे पुद्गलोंका वर्णन
किया गया है। ५ पयडि-पयडि त्ति अणियोगद्दारम्हि पोग्ग. ५ प्रकृति-प्रकृति अर्थाधिकारमें कृति अधि
लाणं कदिम्हि परूविद-संघादाणं वेदणाए कारमें कहे गये संघातनरूप, वेदना अधिपण्णविदावस्थाविसेस-पच्चयादीणं फासम्मि कारमें कहे गये अवस्थाविशेष प्रत्ययादिणिरूविद-वावाराणं पयडिणिक्खेवादि-सोलस- रूप, स्पर्शमें कहे गये जीवसे संबद्ध अणियोगदारेहि सहाव-परूवणा कीरदे। और जीवके साथ संबद्ध होनेसे उत्पन्न
हुए गुणके द्वारा कर्म अधिकारमें कथित रूपसे व्यापार करनेवाले पुद्गलोंके स्वभाव
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org