________________
१, १, १२०.] संत-परूवणाणुयोगद्दारे णाणमग्गणापरूवणं
[ ३६५ भवतु नाम देवनारकासंयतसम्यग्दृष्टिष्ववधिज्ञानस्य सत्त्वं तस्य तद्भवनिवन्धनत्वात् । देशविरतायुपरितनानामपि भवतु तत्सत्वं तन्निमित्तगुणस्य तत्र सत्त्वात्, न तिर्यङ्मनुष्यासंयतसम्यग्दृष्टिषु तस्य सत्वं तन्निबन्धनभवगुणानां तत्रासत्त्वादिति चेन्न, अवधिज्ञाननिबन्धनसम्यक्त्वगुणस्य तत्र सत्त्वात् । सवेसम्यग्दृष्टिषु तदनुत्पत्त्यन्यथानुपपत्ते वधिज्ञानं सम्यग्दर्शननिवन्धनमिति चेत्सर्वसंयतेषु तदनुत्पत्त्यन्यथानुपपत्तेरवधिज्ञानं संयमहेतुकमपि न भवतीति किन्न भवेत् । विशिष्टः संयमस्त तुरिति न सर्वसंयतानामवधिर्भवतीति चेदत्रापि विशिष्टसम्यक्त्वं तद्धेतुरिति न सर्वेषां तद्भवति को विरोधः स्यात् ? औपशमिकक्षायिकक्षायोपशमिकभेदमिनेषु त्रिष्यपि सम्यक्त्वविशेषेष्यवधिज्ञानोत्पत्तेर्व्यभिचारदर्शनान्न तद्विशेषनिवन्धनमपीति चेत्तत्रापि सामायिक-च्छेदोपस्थापन
शंका--देव और नारकीसंबन्धी असंयतसम्यग्दृष्टि जीवों में अवधिज्ञानका सद्भाव भले ही रहा आवे, क्योंकि, उनके अवधिज्ञान भवनिमित्तक होता है। उसीप्रकार देशविरति आदि ऊपरके गुणस्थानों में भी अवधिज्ञान रहा आवे, क्योंकि, अवधिज्ञानकी उत्पत्तिके कारणभूत गुणोंका वहां पर सद्भाव पाया जाता है। परंतु असंयतसम्यग्दृष्टि तिर्यंच और मनुष्यों में उसका सद्भाव नहीं पाया जा सकता है, क्योंकि, अवधिज्ञानकी उत्पत्तिके कारण भव और गुण असंयतसम्यग्दृष्टि तिर्यंच और मनुष्योंमें नहीं पाये जाते हैं ?
समाधान-नहीं, क्योंकि, अवधिज्ञानकी उत्पत्तिके कारणरूप सम्यग्दर्शनका असंय. तसम्यग्दृष्टि तिर्यंच और मनुष्यों में सद्भाव पाया जाता है।
शंका-चूंकि संपूर्ण सम्यग्दृष्टियों में अवधिज्ञानकी अनुत्पत्ति अन्यथा बन नहीं सकती है, इससे मालूम पड़ता है कि सम्यग्दर्शन अवधिज्ञानकी उत्पत्तिका कारण नहीं है ?
समाधान- यदि ऐसा है तो संपूर्ण संयतोंमें अवधिज्ञानकी अनुत्पति अन्यथा बन नहीं सकती है, इसलिये संयम भी अवधिज्ञानका कारण नहीं है, ऐसा क्यों न मान लिया जाय ?
शंका-विशिष्ट संयम ही अवधिज्ञानकी उत्पत्तिका कारण है, इसलिये समस्त संयतोंके अवधिज्ञान नहीं होता है, किंतु कुछ के ही होता है ?
समाधान-यदि ऐसा है तो यहां पर भी ऐसा ही मान लेना चाहिये कि असंयत.. सम्यग्दृष्टि तिर्यंच और मनुष्यों में भी विशिष्ट सम्यक्त्व ही अवधिज्ञानकी उत्पत्तिका कारण है। इसलिये सभी सम्यग्दृष्टि तिथंच और मनुष्यों में अवधिज्ञान नहीं होता है, किंतु कुछके ही होता है, ऐसा मान लेने में क्या विरोध आता है ?
शंका- औपशमिक, क्षायिक और क्षायोपशमिक इन तीनों ही प्रकारके विशेष सम्यग्दर्शनोंमें अवधिज्ञानकी उत्पत्तिमें व्यभिचार देखा जाता है। इसलिये सम्यग्दर्शनविशेष अवधिज्ञानकी उत्पत्तिका कारण है यह नहीं कहा जा सकता है?
समाधान-यदि ऐसा है तो संयममें भी सामायिक, छेदोपस्थापना, परिद्वारविशुद्धि,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org