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महाबंधे पदेसबंधाहियारे पंचसंघ० उक० पदे० । असंप० उक० पदे० विसे० । सव्वत्थोवा णील० उक०' पदे । किण्ण० उक० पदे. विसे० । रुहिर० उक्क० पदे० विसे । हालिद्द० उक्क० पदे० विसे । सुकिलणामा० उक्क० पदे० विसे० । सव्वत्थोवा दुगंधणामाए उक्क० पदे० । सुगंधणामाए उक्क० पदे० विसे० । सव्वत्थोवा' कडुक० उक्क० पदे । तित्थणामा० उक्क० पदे० विसे । कसिय० उक्क० पदे. विसे०। अंबिल० उक० पदे० विसे । मधुर० उक० पदे० विसे० । सव्वत्थोवा मउग-लहुगणामाए उक० पदे० । ककडगरुगणामाए उक० पदे० विसे० । सीद-लुक्खणा उक० पदे० विसे । गिद्ध-उसुणणा० उक० पदे. विसे । यथा गदी तथा आणुपुव्वी । सव्वत्थोवा परघादुस्सा० उक्क० पदे० । अगुरुगलहुग-उवघाद. उक्क० पदे० विसे० । आदाउज्जो० उक्क० पदे० सरिसं । दोविहा० उक्क० पदे० सरिसं । सव्वत्थोवा तस-पजत. उक० पदे । थावर०-अपज० उक० पदे० विसे । बादर-सुहुम-पत्ते-साधार० उक० पदे. सरिसं । सव्वत्थोवा थिर-सुभ-सुभग-आर्दै० उक्क० पदे० । अथिर-असुभ-दूभग-अणादें उक्क० पदे० विसे । सुस्सर-दुस्सर० उक्क० पदे० सरिसं० । सव्वत्थोवा अजस० उक्क०
प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है । उससे असम्प्राप्तामृपाटिका संहननका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। नील नामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे कृष्णनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाम विशेष अधिक है। उससे रुधिरवर्ण नामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे हारिद्रवर्ण नामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है । उससे शुक्लवर्ण नामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है । दुर्गन्धनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाप्र सबसे स्तोक है। उससे सुगन्धनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। कटुकरसनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाप सबसे स्तोक है । उससे तिक्तरस नामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे कषायरसनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे अम्लरसनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे मधुरसानामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाम्र विशेष अधिक है। मृदु-लघुस्पर्शनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है । उससे कर्कशगुरुस्पर्शनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे शीत-रूक्षस्पर्शनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे स्निग्धउष्णस्पर्शनामकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है । जिस प्रकार गतियोंका अल्पबहुत्व है, उसी प्रकार आनुपूर्वियोंका अल्पबहुत्व है। परघात
और उच्छासका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। अगुरुलघु और उपघातका उत्कृष्ट प्रदेशान विशेष अधिक है । आतप और उद्योतका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र परस्पर समान है। दो विहायोगतियोंका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र परस्पर समान है । वस और पर्याप्तका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है । स्थावर और अपर्याप्त का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है । बादर, सूक्ष्म, प्रत्येक और साधारणका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र परस्पर समान है। स्थिर, शुभ, सुभग, और आदेयका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है । अस्थिर, अशुभ, दुर्भग और अनादेयका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है । सुस्वर
१. ता० आ० प्रत्योः 'सव्वत्थोवा णिमि० उक्क०' इति पाठः। २. ता० प्रतौ विसे० विसे० (१)। सव्वत्थोवा' इति पाठः। ३. ता० प्रतौ 'उक्क० [ विसे० ] । कसिय०' इति पाठः । ४. ता० प्रतौ 'कक्कडगुरुग० णामाए उकवी (उक्क० विसे)। सीदलुक्खणा.' इति पाठः। ५. ता. प्रतौ 'णिध (द्ध ) उसुणा णा०' आ० प्रतौ णीदउसुणणा०' इति पाठः ।
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