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पदणिक्खेवे सामित्तं जह जोग० पडिदो तदो मोहणी० चदुविध० तिविध० दुविधबंधगों जादो तस्स उक्क० अवट्ठाणं । पुरिस० उक्क० वड्डी कस्स० ? जो मोहणीयस्स णवविधबंधगो तप्पाऑग्गजहण्णगादो जोगट्ठाणादो उकस्सगं जोगट्ठाणं गदो तदो मोहणीयस्स पंचविधबंधगो जादो तस्स उक्क० वड्डी । उक्क० हाणी कस्स० ? जो मोहणी० पंचविधबंध० उक्क०जोगी मदो देवो जादो तप्पाऑग्गजह जोग० पडिदो तस्स उक्क० हाणी । उक्क० अवट्ठाणं कस्स ? जो मोहणी. पंचविधवं० उक्क०जोगी पडिभग्गो तप्पाऑग्गजह जोगट्ठाणे पडिदो' मोहणी० णवविधबंधगो जादो तस्स उक्क० अवठ्ठाणं । इत्थिवे० उक्क० वड्डी कस्स० ? जो अट्ठविधबंधगो तप्पाऑग्गजहण्णगादो जोगट्ठाणादो उक्क० जोगहाणं गदो सत्तविधबंधगो जादो तस्स उक्क० वड्डी । उक्क० हाणी कस्स० ? जो सत्तविधबंधगो उकस्सजोगी मदो असण्णिपंचिंदिएसु उववण्णो तस्स उक्क० हाणी । उक्क० अवठ्ठाणं कस्स? जो सत्तविधबंधगो उक्क जोगी पडिभग्गो तप्पाओग्गजह. पडिदो अट्ठविधबंधगो जादो तस्स उक्क० अवठ्ठाणं ।
२२७. अण्णदरे आउगे बंधमाणो पुरदो अंत्तोमुहुत्तमग्गदो अंतोमुहुत्तं याव जीव प्रतिभग्न हुआ और तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें पतित होकर अनन्तर मोहनीयके चार प्रकारके, तीन प्रकारके और दो प्रकारके कर्मोंका बन्ध करने लगा वह उनके उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी है । पुरुषवेदकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी कौन है ? मोहनीयके नौ प्रकारके कर्मोंका बन्ध करनेवाला जो जीव तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानसे उत्कृष्ट योगस्थानको प्राप्त होकर अनन्तर मोहनीयके पाँच प्रकारके कर्मों का बन्ध करने लगा वह उसकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी है । उसकी उत्कृष्ट हानिका स्वामी कौन है ? मोहनीयके पाँच प्रकारके कर्मों का बन्ध करनेवाला उत्कृष्ट योगसे युक्त जो जीव मरा और देव होकर तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें गिरा वह उसकी उत्कृष्ट हानिका स्वामी है । उसके उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी कौन है ? मोहनीयके पाँच प्रकारके कर्मोंका बन्ध करनेवाला उत्कृष्ट योगसे युक्त जो जीव प्रतिभग्न हुआ और तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें गिरकर मोहनीयके नौ प्रकारके कर्मोंका बन्ध करने लगा वह उसके उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी है । स्त्रीवेदकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी कौन है ? आठ प्रकारके कर्मोका बन्ध करनेवाला जो जीव तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानसे उत्कृष्ट योगग्थानको प्राप्त होकर सात प्रकारके कर्मोंका
करने लगा वह उसकी उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी है। उसकी उत्कृष्ट हानिका स्वामी कौन है? सात प्रकारके कर्मोका बन्ध करनेवाला उत्कृष्ट योगसे युक्त जो जीव मरकर असंज्ञी पश्चेन्द्रियोंमें उत्पन्न हुआ वह उसकी उत्कृष्ट हानिका स्वामी है। उसके उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी कौन है ? सात प्रकारके कर्मोका बन्ध करनेवाला उत्कृष्ट योगसे युक्त जो जीव प्रतिभग्न हुआ और तत्प्रायोग्य जघन्य योगस्थानमें गिरकर आठ प्रकारके कर्मोका बन्ध करने लगा वह उसके उत्कृष्ट अवस्थानका स्वामी है।
___ २२७. अन्यतर आयुका बन्ध करनेवाला जीव आगेका जो अन्तर्मुहूर्त है उस अन्तर्मुहूर्त कालके समाप्त होने तक आयुकर्मका बन्ध करता है। इस प्रकार इस कालमें यदि सम्यग्दृष्टि है तो
१. ता०प्रतौ 'जोगहाणं पडिदो' इति पाठः । २. ता०प्रतौ 'अंतोमुहुत्तं मं (?) गदो' इति पाठः।
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