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महाबंधे पदेसबंधाहियारे २०३. वेउ.मि० धुवियाणं भुज० जह० अंतो०, उक्क० पलिदोव० असंखें । सेसाणं भुज. धुवभंगो। णवरि जह० ए० । अवत्त. जह० एग०, उक्क० आवलि. असंखें । णवरि तित्थ० ओरा०मिस्सभंगो।
___ २०४. आहारमि० धुविगाणं मुज० [ जह० ] उक्क० अंतो० । एवं सव्वाणं । णवरि अवत्त० जह० एग०, उक्क० संखेंजसम० । लेना चाहिए । औदारिकमिश्रकाययोगी आदि सब अनन्त संख्यावाली मार्गणाएँ हैं, इसलिए इनमें सामान्य तिर्यञ्चोंके समान कालप्ररूपणा बन जानेसे उनके समान जाननेकी सूचना की है। मात्र औदारिकमिश्रकाययोगी जीवोंमें देवयतिपञ्चकके भुजगार पदके बन्धक जीवोंका जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तमुहूते प्राप्त होनेसे वह उक्त प्रमाण कहा है।
२०३. वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीवोंमें ध्रुवबन्धवाली प्रकृतियोंके भुजगार पदके बन्धक जीवोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है। शेष प्रकृतियोंके भुजगारपदके बन्धक जीवोंका भङ्ग ध्रवबन्धिनी प्रकृतियोंके समान है। इतनी विशेषता है कि इनके भुजगार पदके बन्धक जीवोंका जघन्य काल एक समय है । तथा अवक्तव्य पदके बन्धक जीवोंका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण है। इतनी विशेषता है कि तीर्थङ्कर प्रकृतिका भङ्ग औदारिकमिश्रकाययोगी जीवोंके समान है।
विशेषार्थ-वैक्रियिकमिश्रकाययोग यह सान्तर मार्गणा है और इसका जघन्य काल अन्तमुहूर्त और उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है, इसीसे यहाँ ध्रुवबन्धवाली प्रकृतियोंके भुजगार पदवाले जीवोंका जघन्य काल अन्तमुहूर्त और उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण कहा है। शेष प्रकृतियोंके भुजगार पदवालोंका भङ्ग ध्रुवबन्धवाली प्रकृतियोंकेसमान है, इसलिए कहा है कि इनके भुजगार पदवाले जीवोंका उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण बन जाता है परत.इनका अवक्तव्यपद भी होता है, इसलिए इनके भुजगार पदवाले जीवोंका जघन्य काल एक समय प्राप्त होनेसे वह उक्तप्रमाण कहा है । इनके अवक्तव्य पदवाले जीवोंका जघन्य काल एक समय है,यह स्पष्ट ही है । तथा इनका प्रमाण असंख्यात है, इसलिए इनके अवक्तव्य पदवाले जीवोंका उत्कृष्ट काल आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण कहा है । औदारिकमिश्रकाययोगी जीवोंके समान वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीवों में भी तीर्थङ्कर प्रकृतिका बन्ध करनेवाले जीव अधिकसे अधिक संख्यात ही हो सकते हैं, इसलिए इनमें तीर्थङ्कर प्रकृतिका भङ्ग औदारिकमिश्रकाययोगी जीवोंके समान जाननेकी सूचना की है। ___. २०४. आहारकमिश्रकाययोगी जीवोंमें ध्रुवबन्धवाली प्रकृतियोंके भुजगार पदके बन्धक जीवोंका जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तमुहूर्त है । इसी प्रकार सब प्रकृतियोंका जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इनके अवक्तव्यपदके बन्धक जीवोंका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल संख्यात समय है।
विशेषार्थ-आहारकमिश्रकाययोगका नाना जीवोंकी अपेक्षा भी जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है, इसलिए इनमें ध्रुवबन्धवाली प्रकृतियो के भुजगार पदवाले जीवोंका जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तमुहूर्त कहा है । मात्र अन्य प्रकृतियोंका अवक्तव्य पद भी होता है। किन्तु लगातार भी उसे संख्यात जीव ही कर सकते हैं, इसलिए इस पदवाले जीवों का जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल संख्यात समय प्राप्त होनेसे तत्प्रमाण कहा है।
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