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________________ महाबंधे पदेसबंधाहियारे सामित्तपरूवणा २४. सामित्तं दुविधं-जहण्णयं उक्कस्सयं च । उक्कस्सए पगदं । दुवि०-ओघे० आदे० । ओघे० छण्णं कम्माणं उक्कस्सपदेसबंधो कस्स ? अण्णदरस्स उवसामगस्स वा खवगस्स वा छविधबंधयस्स उक्कस्सजोगिस्स । मोह० उक्क०पदे०७० कस्स ? अण्ण० चदुगदियस्स पंचिंदियस्स सण्णि० मिच्छादिहिस्स वा सम्मादिहिस्स वा सव्वाहि पजत्तीहि पजत्तयदस्स सत्तविधबंधयस्स उकस्सजोगिस्स उकस्सए पदेसबंधे वट्टमाणगस्स । आउगस्स उक० पदे०२० कस्स ? अण्ण० चदुग० पंचिं० सण्णि० मिच्छादिट्टि० वा सम्मादिहि० वा सव्वाहि पज्जत्तीहि पज० अट्ठविधबंधगस्स उक्कस्सजोगिस्स । एवं ओघभंगो कायजोगि-लोभक०-अचक्खु०-भवसि०आहारग त्ति। २५. णिरएसु सत्तणक० उक्क० पदेसब कस्स ? अण्ण० मिच्छा० वा सम्मा० वा सव्वाहि पजत्तीहि पजत्तग० उकस्सजोगिस्स सत्तविधबंधगस्स । आउ० उक्क० पदेसब कस्स ? अण्ण० सम्मा० वा मिच्छा० वा सव्वाहि पन्ज. अहविध० उक्क० पदे । एवं सत्तसु पुढवीसु। णवरि सत्तमाए आउ० मिच्छा० अढविधबंधग० उक्क० । स्वामित्वप्ररूपणा २४. स्वामित्व दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्ट का प्रकरण है। उसकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश । ओघसे छह कर्मों के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? जो अन्यतर उपशामक या क्षपक छह प्रकारके कर्मों का बन्ध कर रहा है और उत्कृष्ट योगवाला है, वह उक्त छह कर्मों के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका स्वामी है। मोहनीयके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? जो चारों गतिका पञ्चेन्द्रिय संज्ञी मिथ्याष्टि या सम्यग्हष्टि जीव सब पर्याप्तियोंसे पर्याप्त है, सात प्रकारके कर्मो का बन्ध कर रहा है, उत्कृष्ट योगवाला है और उत्कृष्ट प्रदेशबन्ध कर रहा है, वह उक्त सात कर्मो के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका स्वामी है। आयुकर्मके उत्कृष्ट प्रदेशवन्धका स्वामी कौन है ? जो चारों गतिका पश्चेन्द्रिय संज्ञी मिथ्या दृष्टि या सम्यग्दृष्टि जीव सब पर्याप्तियोंसे पर्याप्त है, आठ प्रकारके कर्मीका बन्ध कर रहा है और उत्कृष्ट योगवाला है,वह अन्यतर जीव आयुकर्मके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका स्वामी है। इस प्रकार ओघके समान काययोगवाले, लोभकषायवाले, अचक्षदर्शनवाले, भव्य और आहारक जीवोंके जानना चाहिये। २५. नारकियोंमें सात कर्मों के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? अन्यतर मिथ्यादृष्टि या सम्यग्दृष्टि जीव जो सब पर्याप्तियोंसे पर्याप्त है, उत्कृष्ट योगवाला है और सात प्रकारके कर्मो का बन्ध कर रहा है, वह उक्त सात कर्मो के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका स्वामी है। आयुकर्मके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका स्वामी कौन है ? अन्यतर मिथ्यादृष्टि या सम्यग्दृष्टि जीव जो सब पर्याप्तियोंसे पर्याप्त है, उत्कृष्ट योगवाला है और आठ प्रकारके कर्मो का बन्ध कर रहा है, वह आयुकमके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका स्वामी है। इसी प्रकार सातों पृथिवियोंमें जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि सातवीं पृथिवीमें आठ कर्मो का बन्ध करनेवाला मिथ्यादृष्टि जीव आयकर्मका उत्कृष्ट प्रदेशबन्ध करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001393
Book TitleMahabandho Part 6
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size10 MB
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