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________________ १६८ महाबंधे अणुभागबंधाहिया रे णिमि १०- उच्चा० उक्क० कस्स० ? अण्ण० चदुग० सम्मादि० सागा० सव्व विसु ० । इत्थि०पुरिस ० - हस्स- रदि-चदुसंठा० चदुसंघ० उक० कस्स० ? अण्ण० चदुर्गादि० मिच्छादि० सागा ० तप्पा० संकिलि० उक्क० वट्ट० । मणुसगदिपंचगस्स देव० णेरइ० सम्मादिडिस्स सागा- सव्वविसु० उक्क० वट्ट० | देवगदिचदु० उक्क० कस्स० ? अण्ण० तिरिक्खमणुस ० सम्मादि० सागा० सव्वविसु० । एइंदिय थावर० उक्क० कस्स० १ अण्ण० ईसा तदेवस्स सागा० सव्वसंकिलि० उक्क० वट्ट० । तिणिजादी० ओघं । असंप०-अप्पसत्थ०दुस्सर० उक्क० कस्स० ? अण्ण० सहस्सारंतदेवस्स णेरइगस्स सव्वसंकिलि० उक्क० वट्ट० । आदाव० उक्क० कस्स० ? अण्ण० तिगदिय० सागा० तप्पा ओग्गविसुद्ध ० उक्क० वट्ट० | उज्जो० उक्क० कस्स० ? अण्ण० सत्तमाए पुढवीए सागा० सव्वविसु ० उक्क० वट्ट० । स्रुहुम-अपज्ज० - साधी ० उक्क० कस्स० ? अण्ण० तिरिक्ख० मणुस ० पंचिदि० सणि मिच्छा० सागा० णिय० उक्क० संकिलि० उक्क० वट्ट० । तित्थय ० उक्क० कस्स० ? अण्ण० तिगदि० सागा० सव्ववि० । वर्णचतुष्क, अगुरुलघुत्रिक, प्रशस्तविहायोगति, त्रसचतुष्क, स्थिर आदि छह, निर्माण और उच्चगोत्रके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार - जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध करनेवाला अन्यतर चार गतिका सम्यग्दृष्टि जीव उक्त प्रकृतियोंके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है । स्त्रीवेद, पुरुषवेद, हास्य, रति, चार संस्थान और चार संहननके उत्कृष्ट भागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत, तत्प्रायोग्य संक्लिष्ट और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध करनेवाला अन्यतर चार गतिका मिध्यादृष्टि जीव उक्त प्रकृतियोंके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है । मनुष्यगति पञ्चकके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी साकार जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध करनेवाला अन्यतर सम्यग्दृष्टि देव और नारकी जीव है। देवगति चतुष्कके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध करनेवाला अन्यतर सम्यग्दृष्टि तिर्यञ्च और मनुष्य उक्त प्रकृतियोंके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है । एकेन्द्रियजाति और स्थावर के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत, सर्वसंक्लिष्ट और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध करनेवाला अन्यतर ऐशान कल्प तकका देव उक्त प्रकृतियों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है। तीन जातियों का भङ्ग ओधके समान है । सम्प्राप्तासृपाटिकासंहनन, प्रशस्त विहायोगति और दु:स्वर के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार जागृत, सर्वसंक्लिष्ट और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध करनेवाला अन्यतर सहस्रार कल्प तकका देव और नारकी उक्त प्रकृतियों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है । आपके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार जागृत, तत्प्रायोग्य विशुद्व और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तीन गतिका जीव आतप प्रकृतिके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है । उद्योतके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध करनेवाला अन्यतर सातवीं पृथिवीका नारकी उद्योतके उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है। सूक्ष्म, अपर्याप्त और साधारण के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी कौन है ? साकार जागृत, नियमसे उत्कृष्ट संक्लिष्ट और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध करनेवाला अन्यतर पंचेन्द्रिय, संज्ञी मिध्यादृष्टि तिर्यञ्च और मनुष्य उक्त प्रकृतियों के उत्कृष्ट अनुभागबन्धका स्वामी है । तीर्थङ्कर प्रकृतिके उत्कृष्ट अनुभागबन्ध का स्वामी कौन है ? १. ता० प्रतौ देवगदिचदुक०, श्रा० प्रतौ० देवगदिचदुजादि० इति पाठः । २. ता० प्रती सादा ० इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001391
Book TitleMahabandho Part 4
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages454
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
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