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________________ ३६४ महाबंधे डिदिबंधाहियारे देवगदिपंचग० भुज० अप्प० सव्व० केव० ? संखेंजदिभा० । अवट्ठि० सव्व० केव० ? संखेज्जा भा०। ७६९. अवगदवे. सव्वाणं भुज-अप्पद०-अवत्त० सव्व० केव० १ संखेज्जः । अवढि० सन्व. केव० ? संखेज्जा भा० । सेसाणं णिरयादि याव सण्णि त्ति सम्वेसिं असंखज्जरासीणं ओघं सादभंगो कादव्यो। एसिं संखेज्जरासिं तेसिं ओघं आहारसरीरभंगो कादव्यो । एवं भागाभागं समत्तं । परिमाणाणुगमो ७७०. पारिमाणाणुगमेण दुवि०-ओषे० आदे० । ओघे० पंचणा-छदसणा०अट्ठक०-भय-दुगुं०-तेजा०-क०-वण्ण०४-अगु०-उप०-णिमि०-पंचंत० भुज०-अप०-अवढि० केसिया ? अणंता। अवत्त० केत्तिया ? संखेंज्जा। थीणगिद्धि०३-मिच्छ० अढक०. ओरालि. तिण्णिपदा केत्तिया ? अणंता । अवत्त० केत्तिया ? असंखेज्जा । तिणि आयु० दो पदा केत्तिया ? असंखेज्जा । तिरिक्खायु० दो पदा केत्तिया ? अणंता । वेउव्वियछ० चत्तारि पदा केत्ति० १ असंखेज्जा। आहारदुगं चत्तारि पदा केत्तिया ? संखेज्जा । तित्थय तिण्णिपदा केत्तिया ? असंखेज्जा । अवत्त० केत्ति ? संखेज्जा । सेसाणं सव्वपगदीणं चत्तारि पदा केत्तिया ? अणंता । एवं ओघमंगो तिरिक्खोघो कायजोगि-ओरालि और अल्पतर पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? संख्यातवें भाग प्रमाण हैं । अव. स्थित पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? संख्यात बहुभाग प्रमाण हैं। ७६६. अपगत वेदवाले जीवोंमें सब प्रकृतियोंके भुजगार,अल्पतर और अवक्तव्य पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? संख्यातवें भाग प्रमाण हैं। अवस्थित पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? संख्यात बहुभाग प्रमाण हैं। शेष नरक गतिसे लेकर संज्ञी मार्गणा तक सब असंख्यात राशिवाली मार्गणाओं में ओघसे सातावेदनीयके समान भङ्ग जानना चाहिये। तथा जिन मार्गणाओंकी संख्यात राशि है, उन मार्गणाओंमें ओघसे आहारक शरीरके समान भङ्ग जानना चाहिये । इस प्रकार भागाभाग समाप्त हुआ। परिमाणानुगम ७७०. परिमाणानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका हे-आप और आदेश । ओघसे पाँच ज्ञानावरण, छह दर्शनावरण, आठ कषाय, भय, जुगुप्सा, तैजस शरीर, कार्मण शरीर, वर्ण चतुष्क, अगुरुलघु, उपघात, निमाण और पाँच अन्तरायके भुजागार, अल्पतर और अवस्थित पदवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। अवक्तव्य पदवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। स्त्यानगृद्धि तीन, मिथ्यात्व, आठ कषाय और औदारिक शरीरके तीन पवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं । अवक्तव्य पदवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। तीन आयुओं के दो पदवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । तिर्यश्चायुके दो पदवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। वैक्रियिक छहके चार पदवाले जीव कितने है ? असंख्यात हैं । आहारकद्विक चार पदवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। तीर्थंकर प्रकृतिके तीन पवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। अवक्तव्यपद वाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। शेष सब प्रकृतियोंक चार पदवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। इस प्रकार ओघके समान सामान्य तिर्यन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001390
Book TitleMahabandho Part 3
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages510
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size13 MB
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