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________________ भुजगारबंधे भागाभागाणुगमो ३६३ भयणिज्जा | सेसाणं ओघं । णिरयादि याव सण्णि त्ति संखेज्ज- असंखेज्जरासीणं अवडि० freमा अत्थि । सेाणि पदाणि भयणिज्जाणि । एवं भंगविचयं समत्तं । भागाभागागमो ७६८. भागाभागं दुवि० - ओघे० दे० । ओघे० पंचणा० णवदंसणा०-मिच्छ०सोलसक०-भय- दुर्गु० - ओरालिय० - तेजा० क० वण्ण ०४- अगु० उप० णिमि० पंचंत० भुज ०अप्प ० केवडियो भागो | असंखेजदिभागो ? अवट्ठि ० के ० १ असंखेज्जा भागा । अवत्त ० सव्व० के० ? अनंतभागो । चदुष्णं आयु० अवत्त० सव्वजी० के० १ असंखज्ज० | अप्प० सव्व ० के ० १ असंखेज्जा भा० । आहारदुगं भुज ० अप्प ० - अवत्त० सव्व० केव० ? संखेज्जदि ० । अवट्टि • सव्त्र ० के ० १ संखेज्जा भा० । सेसाणं सव्वपग० भुज ० -अप्प ०. अवत्त० सव्व० केव० १ असंखेज्ज० । अवट्ठि० सव्व० केव० १ असंखेज्जा भागा । एवं ओघमंगो तिरिक्खोघं कायजोगि ओरालियका ०-ओरालियमि० कम्मइ० णवस ०कोधादि०४-मदि० सुद० - असंज० अचक्खुर्द ० तिण्णिले ० भवसि ० - अब्भवसि ० -मिच्छादि ०असण्णि-आहार०-अणाहारग ति । णवरि ओरालियमि० - कम्मह० - अणाहारगेसु और तीर्थङ्कर प्रकृति के तीन पदवाले जीव भजनीय हैं। शेष प्रकृतियों का भङ्ग ओघ के समान है। नरक गति से लेकर संज्ञी मार्गणातक संख्यात और असंख्यात राशिवाली मार्गणाओं में अवस्थित पदवाले जीव नियम से हैं। शेष पदवाले जीव भजनीय हैं। इस प्रकार भङ्गविचय समाप्त हुआ । भागाभागानुगम ७६८. भागाभाग दो प्रकार का है - ओ और आदेश । ओघ से पाँच ज्ञानावरण, नौ दर्शनावरण, मिध्यात्व, सोलह कषाय, भय, जुगुप्सा, औदारिक शरीर, तैजसशरीर, कार्मण शरीर, वर्णचतुष्क, गुरुलघु, उपघात, निर्माण और पाँच अन्तरायके भुजगार और अल्पतर पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं । अवस्थित पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? असंख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । अवक्तव्य पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं । अनन्तवें भाग प्रमाण हैं। चार आयुओं के अवक्तव्य पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं ? अल्पतर पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । आहारकद्विकके भुजगार, अल्पतर और अवक्तव्य पदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? संख्यातवें भाग प्रमाण हैं । अवस्थितपदवाले जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? संख्यात बहुभाग प्रमाण हैं। शेष सब प्रकृतियों के भुजगार, अल्पतर और अवक्तव्य पदवाले जीव सब जीवों के कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । अवस्थितपदवाले जीव सब जीवों के कितने भाग प्रमाण हैं ? असंख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । इस प्रकार ओधके समान सामान्य तिर्यञ्च, काययोगी, दारिक काययोगी, औदारिक मिश्रकाययोगी, कार्मण काययोगी, नपुंसक वेदी, क्रोधादि चार कपायवाले, मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, असंयत, अचतुदर्शनी, तीन लेश्यावाले, भव्य, अभव्य, मिध्यादृष्टि, असंज्ञी, आहारक और अनाहारक जीवोंके जानना चाहिये । इतनी विशेषता है कि दारिक मिश्र काययोगी, कार्मण काययोगी और अनाहारक जीवोंमें देवगति पञ्चकके भुजगार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001390
Book TitleMahabandho Part 3
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages510
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size13 MB
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