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महाबंधे टिदिबंधाहियारे अंतो । अवधि पत्थि अंतरं। आयु० दो पदा० जह० एग०, उक्क० चउवीसं मुहुत्तं । एवं सव्वणेरइएमु । आयु० परिवादीए अडदालीसं मुहुत्तं पक्खं मासं बे मासं चत्तारिमासं छम्मासं बारसमासं । एवं चेव देवाणं पि कादव्वं । णवरि सव्वट्ठ पलिदोवमस्स संखेज ।
३२८. तिरिक्खेसु सव्वे भंगा पत्थि अंतरं । एवं सव्वएइंदिय-पुढवि०-आउःतेउ०-वाउ०-बादरपुढवि०-आउ-तेउ०-वाउ० तेसिं चेव अप०-सुहुम०-सव्ववणप्फदि-णियोद-बादरवणप्फदिपत्तेय० तस्सेव अप० ओरालियमि०-कम्मइ०-एस०कोधादि०४-मदि०-सुद-असंज-किरण-णील-काउ०-अब्भव०--मिच्छा०असएिण-अणाहारग त्ति । णवरि लोभे मोह० ओघं ।
३२६. सव्वपंचिंदियतिरिक्ख. सत्तएणं क. भुज-अप्पद० जह० एग०, उक अंतो० । अवहि पत्थि अंतरं । आयु० दो पदा० जहः एग०, उक्क० अंतो० । पज्जत-जोणिणीसु जह० एग०, उक्क० चउवीसं मुहु । अपज्ज० जह एग०, उक्क अंतो०।
३३०. मणुसअप० सव्वे भंगा जह० एग०, उक्क पलिदो० असं० । मणुस०३ काल एक समय और उत्कृष्ट अन्तर काल अन्तर्मुहूर्त है। अवस्थित पदका अन्तरकाल नहीं है। आयुकर्मके दोनों पदोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तर चौबीस मुहूर्त है। इसी प्रकार सब नारकियोंमें जानना चाहिए। किन्तु आयुकर्मके दोनों पदोका क्रमसे अड़तालीस मुहूर्त, एक पक्ष, एक माह, दो माह, चारमाह ,छह माह और बारह माह है। इसी प्रकार देवोंके भी जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि सर्वार्थसिद्धिमें पल्यका संख्यातवां भागप्रमाण उत्कृष्ट अन्तर है।
३२८. तिर्यनोंमें सम्भव सब पदोंका अन्तर काल नहीं है। इसी प्रकार सब एकेन्द्रिय, पृथिवीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक, बाद पृथिवीकायिक, बादर जलकायिक, बादर अग्निकायिक, बादर वायुकायिक और इन्हींके अपर्याप्त व सूक्ष्म, सब वनस्पतिकायिक, सब निगोद, बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर, और बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येक शरीर अपर्याप्त, औदारिकमिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी, नपुंसकवेदी, क्रोधादिचार कषायवाले, मत्यज्ञानी, श्रुताशानी, असंयत, कृष्णलेश्यावाले, नीललेश्यावाले, कापोत. लेश्यावाले, अभव्य, मिथ्यादृष्टि, असंज्ञी और अनाहारक जीवोंके जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि लोभकषायमें मोहकर्मके पदोंका अन्तरकाल ओघके समान है।
३२९. सब पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चोंमें सात कमौके भुजगार और अल्पतर पदका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है। अवस्थित पदका अन्तरकाल नहीं है। आयुकर्मके दो पदोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तमुंहूर्त है। पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च पर्याप्त और पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च योनिनियों में श्रायुकर्मके दो पदोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल चौबीस मुहूर्त है । तथा अपर्याप्त पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चोंमें अपने पदोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है।
३३०. मनुष्य अपर्याप्तकों में सम्भव सब पदोंका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है। मनुष्यत्रिकमें सात कमौके
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