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महाबँधे ट्ठदिबंधाहियारे
११६. एइंदिए सत्तएां क० जह० जह० अंतो०, उक्क० असंखेज्जा लोगा । अज० श्रधं । श्रयुग० जह० जह० खुद्दाभव० समयू०, उक्क० पलिदो ० असं० । अज० जह० तो०, उक्क० बावीसं वस्ससह ० सादिरे | बादरएइंदिय० सत्तएां क० जह० जह० अंतो०, उक्क० गुलस्स असंखे० । अज० श्रघं । सेसं तं चैव । बादरपज्जत्ते सत्तर क० जह० जह० तो०, उक्क० संखेज्जारिण वस्ससहस्साणि । अज० ओघं । आयु० जह० णत्थि अंतरं । अज० पगदितरं । सव्वबादरे पज्जत्त० आयु० जह० णत्थि अंतरं । अज० पगदितरं । मुहुमेदि० सत्तएरणं क० जह० जह० तो ०, उक्क • अंगुल असंखे० । अज० ओघं । यु० जह० जह० खुद्दाभव • समयू०, उक्क० पलिदो० असंखे ० । अज० जहरणुक तो । पज्जत्ते सत्तरणं क० अपज्जतभंगो | आयु० जह० णत्थि अंतरं । अज० जह० उक्क० तो ० ।
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विशेषार्थ - यद्यपि तिर्यञ्च सामान्यकी उत्कृष्ट कार्यस्थिति अनन्त कालप्रमाण है, पर यह सब तिर्यञ्चकी है। इसीसे इनमें जघन्य स्थितिबन्धका उत्कृष्ट अन्तरकाल उनकी काय स्थितिप्रमाण न कहकर असंख्यात लोकप्रमाण कहा है; क्योंकि जो तिर्यञ्च सूक्ष्म एकेन्द्रिय होकर परिभ्रमण करते हैं, उनकी उत्कृष्ट कार्यस्थिति असंख्यात लोकप्रमाण होती है और इनमें सामान्य तिर्यञ्चों की अपेक्षा सात कर्मोंका जघन्य स्थितिबन्ध सम्भव नहीं है । तिर्यञ्चों में एकेन्द्रियों की मुख्यतासे जघन्य आयुका बन्ध अधिक से अधिक पल्यके श्रसंख्यातवें भागप्रमाण काल तक नहीं होता । इसीसे इनमें प्रयुकर्मके जघन्य स्थितिबन्धका उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्यके असंख्यातवें काल प्रमाण कहा है। शेष कथन सुगम है ।
११६. एकेन्द्रियों में सात कर्मोंके जघन्य स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहुर्त है और उत्कृष्ट अन्तर असंख्यात लोकप्रमाण है । अजघन्य स्थितिबन्धका अन्तर श्रधके समान है। आयुकर्मके जघन्य स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर एक समय कम तुल्लकभवग्रहणप्रमाण है और उत्कृष्ट अन्तर पल्यके श्रसंख्यातवें भागप्रमाण है । अजघन्य स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर साधिक बाईस हजार वर्ष है । बादर एकेन्द्रियोंमें सात कर्मोके जघन्य स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तरङ्गलके असंख्यातवें भागप्रमाण है । तथा अजघन्य स्थितिबन्धका अन्तर शोधके समान है। शेष अन्तर वही है। बादर पर्याप्तके सात कर्मोंके जघन्य स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर संख्यात हजार वर्ष है । श्रजघन्य स्थितिबन्धका अन्तर के समान है । श्रायुकर्मके जघन्य स्थितिबन्धका अन्तरकाल नहीं है । अजघन्य स्थितिबन्धका अन्तर प्रकृतिबन्धके अन्तर के समान है। सब बादर पर्याप्त जीवों में आयुकर्मके जघन्य स्थितिबन्धका अन्तरकाल नहीं है । श्रजघन्य स्थितिबन्धका अन्तर प्रकृतिबन्धके अन्तरके समान है। सूक्ष्म एकेन्द्रियोंमें सात कर्मोंके जघन्य स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर अङ्गुलके श्रसंख्यातवें भागप्रमाण है । अजघन्य स्थितिबन्धका अन्तर श्रोघ के समान है । श्रायुकर्मके जघन्य स्थितिबन्धका जघन्य अन्तर एक समयकम क्षुल्लक भवग्रहणप्रमाण है और उत्कृष्ट श्रन्तर पल्यके श्रसंख्यातवें भागप्रमाण है । अजघन्य स्थितिबन्धका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्यातकोंमें सात कर्मोंके जघन्य और उत्कृष्ट स्थितिबन्धका अन्तर अपर्याप्तकोंके समान है । आयुकर्मके जघन्य स्थितिबन्धका अन्तरकाल नहीं है । तथा अजघन्य स्थितिबन्धका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है ।
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