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महाबंधे
३४४ अणंतगुणा । सोलसक० बंधगा जीवा विसेसा० । सेसं तिरिक्खोघं । णवरि सम्मत्त-संयुत्तं णत्थि । विभंगे-सव्वत्थोवा मिच्छत्त-अ० जीवा। बंधगा जीवा असंखेजः। सोलसक० बंधगा जीवा विसेसा० । दोवेदणी० णवणोक० छस्संठाण छस्संघ० दोविहा० तसथावरादि छयुगलाणं दोगोद० देवोघ-भंगो। सम्बत्थोवा मणुसायु-बंधगा जीवा । णिरयायु-बंधगा जीवा असंखेजगु० । देवायु-बंधगा जीवा असंखेजः । तिरिक्खायु-बंध० जीवा असंखेज० । चदुण्णं आयुबंधगा जीवा विसे० । अबंधगा जीवा संखेज० । णिरयगदि-बंध. जीवा थोवा। देवगदि-बंध० जीवा असंखेजः । मणुसगदि बंधगा जीवा असंखेज० । तिरिक्खगदि-बंधगा जीवा संखेञ्जः । चदुण्णं गदीणं बंधगा जीवा विसेसा० । एवं आणुपु० । चदुरिंदिय-बंधगा जीवा थोवा । तीइंदियबंधगा जीवा संखेज। बीइंदिय-बंधगा जीवा संखेज०। पंचिंदि० बंध० जीवा असंखेज० । एइंदिय-बंधगा जीवा संखेज०। पंचजादीणं बंधगा जीवा विसेसा० । वेउव्वियसरीरबंधगा जीवा थोवा । ओरालि० बंधगा जीवा असंखेज० । हैं। मिथ्यात्वके अबन्धक सासादन गुणस्थानकी अपेक्षा कहे गये हैं। मिथ्यात्वके बन्धक अनन्तगुणे कहे गये हैं, क्योंकि मिथ्यात्वी जीवोंकी संख्या अनन्त है। परिमाणानुगममें कहा है-"मिच्छत्तस्स बंधगा अणंता"।
सोलह कषाय के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। शेष प्रकृतियों के बारेमें तिर्यचोंके ओघसमान जानना चाहिए। विशेष यह है कि यहाँ सम्यक्त्व के साथ बँधनेवाली प्रकृतियोंका अभाव है।
विशेष-तीर्थकर तथा आहारकद्विकका सम्यक्त्वके साथ ही बन्ध होता है। अतः यहाँ इनका बन्ध न होगा।
विभंगज्ञानियों में-मिथ्यात्वके अबन्धक जीव सर्वस्तोक हैं। बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। सोलह कषायक बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। २ वेदनीय, ६ नोकषाय, ६ संस्थान, ६ संहनन, २ विहायोगति, त्रस-स्थावर स्थिरादि ६ युगल तथा दो गोत्रों में देवोंके ओघवत् भंग हैं।
मनुष्यायुके बन्धक जीव सर्वस्तोक हैं। नरकायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। देवायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। तियंचायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। चारों आयुके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। अबन्धक जीव संख्यातगुणे हैं।
नरकगतिके बन्धक जीव स्तोक हैं । देवगति के बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । मनुष्यगतिके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। तियेचगति के बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। चारों गतिके बन्धक जीव विशेष
इसी प्रकार आनुपूर्वियोंमें जानना चाहिए ।
चौइन्द्रिय जाति के बन्धक जीव स्तोक हैं । त्रीइन्द्रिय जातिके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। द्वीन्द्रिय जातिके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। पंचेन्द्रिय जातिके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं । एकेन्द्रियके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। ५ जातियों के बन्धक जीव विशेषाधिक हैं।
वैक्रियिक शरीरके बन्धक जीव स्तोक हैं। औदारिक शरीरके बन्धक जीव असंख्यात
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