________________
पयडिबंधाहियारो
३३१ जीवा संखेजगु० । मणुसायु-बंधगा जीवा असंखेजगु० । तिरिक्खायु-बंधगा जीवा असंखेजगुणा | चदुण्णं आयुगाणं बंधगा जीवा विसेसा० । अबंधगा जीवा संखेजगुणा । सव्वत्थोवा चदुण्णं गदीणं अबंधगा जीवा । देवगदिबंधगा जीवा संखेजगुणा। णिरयगदिबंधगा जीवा संखेजगु०। मणुसगदिबंधगा जीवा संखेज० । तिरिक्खगदि-बंधगा जीवा संखेज० । सवत्थोवा पंचण्णं जादीणं अबंध० जीवा । पंचिंदि० बंधगा जीवा असंखेजगुगा । सेसं बंधगा जीवा संखेजगुणा । सव्वत्थोवा आहारसरीर-बंधगा जीवा । पंचण्णा सरीराणं अबंधगा जीवा संखेजगुणा । वे उब्वियसरीरबंधगा जीवा संखेज० । ओरालि. बंधगा जीवा असंखे० । तेजाक० बंधगा जीवा विसेसा० । सव्वत्थोवा छण्णं संठाणाणं अबंधगा जीवा । समचदु० बंधगा जीवा असंखेजगुणा। सेसं ओघ । सव्वत्थोवा आहार० अंगो० बंधगा जीवा । वे उब्धियअंगो० बंधगा जीवा संखेजगु० । ओरालि० अंगो० बंधगा जीवा असंखेजगु० । तिण्णि अंगोवंगाणं बंधगा जीवा विसेसा० । अबंधगा जीवा संखेजगु० । संघड. आदाउजो० दो विहा० दोसर० ओघं। सव्वत्थाव वण्ण०४ णिमिण-अबंधगा जीवा । बंधगा जीवा असंखेज० । सव्वत्थोवा अगु० उप०
विशेष-स्त्रीवेदके बन्धक संख्यात गुणे हैं। हास्यरतिके बन्धक संख्यातगुणे हैं । अरति शोकके बन्धक संख्यात गुणे हैं । नपुंसकवेदके बन्धक विशेषाधिक है। भय-जुगसाके बन्धक विशेपाधिक हैं।
नरकायुके बन्धक जीव सर्व स्तोक हैं। देवायुके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। मनुव्यायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। तियंचायुके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। चारों आयुओंके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं । अबन्धक जीव संख्यातगुणे हैं।
चारों गतिके अबन्धक जीव सर्व स्तोक हैं। देवगति के बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं । नरकगतिके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। मनुष्यगतिके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। तिथंच गतिके बन्धक जीव संख्यातगणे हैं। पाँचों जातिके अबन्धक जीव सर्व स्तोक हैं। पंचेन्द्रिय जाति के बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। शेष जातियों के बन्धक जीव संख्यानगुणे हैं । आहारक शरीरके बन्धक जीव सर्व स्तोक हैं। पाँचों शरीरोंके अवन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। वैक्रियिक शरीर के वन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। औदारिक शरीरके बन्धक जीव असंख्यातगुण हैं। तैजस, कार्मण के बन्धक जीव विशेपाधिक हैं। ६ संस्थानोंके अबन्धक जीव सर्व स्तोक हैं । समचतुरस्रसंस्थानके बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं ।
शेष संस्थानों में ओघवत् जानना चाहिए । अर्थात् शेपके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। आहारक अंगोपांगके बन्धक जीव सर्व स्तोक हैं। वैक्रियिक अंगोपांगके बन्धक जीव संख्यातगुणे हैं। औदारिक अंगोपांग बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। तीनों अंगोपांगके बन्धक जीव विशेषाधिक हैं। अन्यक जीव संख्यातगुणे हैं। संहनन, आतप, उद्योन, २ विहायो. गति, २ स्वरों में ओघवत् जानना चाहिए । वर्ण ४ और निर्माणके अवन्धक जीव सर्व स्तोक हैं। बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। अगुमलघु, उपघात के अबन्धक जीव सर्व स्तोक हैं। परघात, उपवन बन्धक जीव असंख्यानगणे हैं । अबन्धक जीव संख्यानरण है। अगुरु
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org