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प्रकाशकीय
प्राकृत ग्रंथ परिषद्-ग्रंथमाला के ४१वें पुष्प के रूपमें सुमइनाहचरियं (सुमतिनाथचरित)का प्रकाशन करते हुए हमें हर्ष अनुभव हो रहा है। प्राकृत गद्य-पद्यबद्ध सुमतिनाथचरित आचार्य सोमप्रभसूरि की रचना है । आचार्य सोमप्रभसूरि श्वेताम्बर परम्परा में ४३वें पट्टधर थे। गूर्जरनरेश कुमारपाल एवं आचार्य हेमचन्द्रसूरि के समकालीन आचार्य सोमप्रभसूरि प्रतिभावंत कवि भी थे। उनकी प्रसिद्ध रचना 'कुमारपाल प्रतिबोध' गायकवाड ओरिएण्टल सिरीझ में प्रसिद्ध हो चूकी है। सुमितनाथचरित अद्यापि अप्रकाशित था। कुमारपालप्रतिबोध की तरह यह भी एक उपदेशात्मक कथाओं का कोश है। प्राकृत भाषा, जैन धर्म और दर्शन, लौकिक कथापरंपरा और समसामयिक सांस्कृतिक सामग्री के अध्ययन के लिए सुमतिनाथचरित एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। प्राकृत ग्रंथ परिषद् के मंत्री एवं प्राकृत भाषासाहित्य के विद्वान डॉ. रमणीक शाहने इसका संशोधन-संपादन किया है। डॉ. शाह को प्राकृत ग्रंथ परिषद् की ओर से मैं धन्यवाद देता हूँ।
इस ग्रंथ के प्रकाशन के लिए पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयनरचंद्रसूरीश्वरजी म. सा. के उपदेशसे हसमुखलाल चुनीलाल मोदी चेरिटेबल ट्रस्ट, मुंबई ने रू.८०,०००/दिया है। एतदर्थ प. पू. आचार्यश्री एवं दाताश्री के हम आभारी हैं। सुचारु मुद्रांकन के लिए श्री मयंक शाह को धन्यवाद ।
द. मा. प्राकृत ग्रन्थ परिषद् अहमदाबाद - ३८० ००७. दिनांक : १-१-२००४
नगीन शाह अध्यक्ष
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