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तइओ पत्थावो
इओ य सा सुदंसणा तओ रन्नप्पएसाओ तप्पएसवासिणीए खुद्दवं तरीए पुन्वभवावेस- वस-विसप्पमाण-मच्छराए उक्खित्ता पल्लंकाओ, पक्खित्ता समंतओ भमंत-मत्त-मायंग-मयजलासारसित्तभूमिभागाए' रउद्द-सद्द-सद्दूल-दलिय-सारंग-मुक्त-विरसाराव-भीसणाए, सरल-साल-हिंताल-ताल-तमालप्पमुह-विडवि-संकडाए भीमाडवीए । तओ तरु-निगुंज-मज्डा-गया मुच्छा-निमीलिय-लोयणा गमिऊण कित्तियं पि वेलं सिसिर-समीर-संसग्ग-समागय-चेयणा दिसामुहाई पलोयमाणी सुन्नारन्न-गय-अप्पाणं पेच्छिऊण 'हा ताय ! हा माय ! किमेयमयंडे चिय' अतक्वियमसंभावणिज्जमावडियं' ति चिंतयंती थीसहाव-सुलभ-भय-कंपंत-हियया रोविउं पवत्ता ।
एत्थंतरे मयंको अत्थमइ पणढ-तेय-पन्भारो । कस्स वि न हुंति विहिणो वसेण वसणाई जियलोए ? ||२५०।। वियलिय-तारय-थोरंसुएहिं परिल्हसिय-तिमिर-धम्मिल्ला । रुयइ व रयणी दडं तयवत्थं पत्थिवंगरुहं ||२५१|| काउं असमत्था दुत्थियाए पत्थिव-सुयाए पडियारं । लज्जाभरेण' नूणं तुरियं रयणी अवक्वंता ||२५२।। उदयगिरि-मत्थयत्थो कहइ व पसरिय-करो सहस्सकरो । "मा कुणसु खेयमुदयं पाविहिसि तुमं पि तम-विगमे ।।२५३।। तओ रायधूया उहिऊण सुविणमिव मण्णमाणी अणवरयं पयट्टबाहप्पवाह- पज्जाउल-कवोला, कक्कस-कुसग्ग-संसग्ग-दूमिज्जंतचलणतला, दिणयर-किरण-कलाव-किलंत-कोमल-तणू, पत्थिया पुव्वदिसाहुत्तं ।
कत्थइ भुयंग-भीया कत्थइ सद्दूल-सद्द-संतहा । कत्थइ कुविय-कयंताउ व्व कुंजराउ पलायंती ।।२५४।। विद्दाय-दीण-वयणा इओ तओ सन्न-रन-परिभमिरी । भय-कायर-तरलच्छं पिच्छंती सयल-'दिसिवलयं ।।२५५।।
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