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सुमनाह-चरियं
के वि उक्खित्त-लोलंत - सिय- चामरा,
के वि मणिघंटिया-धूवभायण-धरा || १४०४||
के वि गायति गीयाइं किन्नर-सरा, के वि वाइंति तूराई साडंबरा ।
के वि नच्चंत कंपंत सुरगिरि सिरा,
के वि जिण उवरि धारंति छत्तं वरं,
के वि कित्तंति जिण-गुण-गणं गुरु-गिरा || १४०५ ||
के वि वरिसंति मणि-कणय - कुसुमुक्करं ।
के वि चिद्वंति कुसुमंजली - हत्थया,
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के वि हवणं वदति नय - मत्थया || १४०६||
के वि दीसंति तुरय व्व हेसंतया,
के वि मयमत्त - हत्थि व्व गज्जंतया ।
के वि सीह व्व नायं वि मुंचंतया,
के वि विज्जु व्व उप्पईय - निवयंतया || १४०७|| अह न्हवण- खीर- नीरच्छडाओ छज्जंति उच्छंलतीओ । सीसाओ सामिणो अंकुर व्व नव-सुकय-कंदस्स || १४०८|| हवण - जलं वित्थरियं सिरम्मि पहुणो सियायवत्त - सिरिं ॥ भालयले उण चंदण- नलाडिया-विब्भमं वहइ || १४०९ || मुत्तालंकिय-ताडंक - संकमं केसु कुणइ कन्नाणं । कप्पूर - पत्त-वल्ली - तुल्लं रेहइ कवोलेसु || १४१०|| अहरेसु धरइ पसरत - दंत-किरणुक्करस्स सोहग्गं । कंठी व कंठदेसे हरेइ हारावलि -विलासं ||१४११ || उव्वहइ बाहु - सिहरे हरियंदण - बहल - वासय-समिद्धिं । बाहु - उअर - पहि-भाएसु सहइ सिय-चोलयच्छायं ||१४१२ || एवं अच्चुय - नाहेण निम्मिए जिणवरस्स अभिसेए । अप्पा पवित्तिओ जं पडिहासइ तं महच्छरियं ||१४१३ || गायाई गंधकासाईएहि लूहइ जिणस्स सुरनाहो । हरियंदणेण लिंपइ अच्चइ दिव्वेहिं कुसुमेहिं ||१४१४ ||
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