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________________ छहो पत्थावो अत्थित्थ जंबुदीवो पुरिसत्थ-नरिंद-पुरनिवेसो व्व । जलनिहि-परिहा-परिगय-जगई-पायार-परिखित्तो ।।१३१५।। अद्धिंदु-सुंदरं तत्थ भारहं अत्थि दाहिण-दिसाए । भालं व जत्थ रेहइ वेयहो रययपट्टो व्व ||१३१६|| जं गंग-सिंधु-सरिया-मुत्ताहल-मालियाहिं रमणिज्जं । बहल-वणराइ-कुंतल-रेहा-रेहंत-पेरंतं ||१३१७।। तत्थ अउज्ानयरी कणयमई अत्थि तिलय-सारिच्छा । पेरंत-मुत्तियावलि-समो जहिं फलिह-पायारो ||१३१८|| जा जिण-जम्मट्ठाणं ति सव्व-दीवागएहिं भत्तीए । पायार-कणय-कविसीसएहिं रेहइ रवीहिं व ||१३११।। जत्थ सुवन्न-जिणालय-फुरंत-कंती तडिल्लया-लच्छी । पावइ इज्झंतागुरु-धूमेसु घणेसु गयणयले ।।१३२०।। जत्थुन्नय-घरकुट्टिम-गयाओ हरिणंक-हरिण-नयणाई । दहुं व सविब्भम-पिच्छिरीओ रमणीओ जायाओ ||१३२१|| जीए रयण-विणिम्मिय-पासाय-पहाहिं पहरिए तिमिरे । कुवलय-कमल-वियासेहिं रयणि-दियहा मुणिज्जंति ||१३२२|| विरइय-पय-उल्लासो वित्थारिय-रायहंस-संतासो । मोहो व्व तत्थ मेहो समुन्नओ अत्थि नरनाहो ||१३२३।। पबल-पयाव-दवग्गी विपक्ख-महिहरकुलस्स दिप्पंतो । जेण जए विज्झविओ पगिह-तरवारि-धाराहिं ||१३२४|| जस्स ववसाय-साही पल्लविओ सव्वओ पयावेण । जस-पसरेणं कुसुमिओ फलिओ उण विउल-लच्छीए ||१३२५।। आरामिओ व्व आराम-वीरुहाओ पयाओ पालेइ । सो नीई-सारणी-पवहमाण-धम्मम्बु-पूरेण ।।१३२६।। तस्स नयरस व लच्छी धम्मस्स व सहयरी दया अस्थि । उल्लासिय-लोय-समग्ग-मंगला मंगलादेवी ।।१३२७।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001386
Book TitleSumainahchariyam
Original Sutra AuthorSomprabhacharya
AuthorRamniklal M Shah, Nagin J Shah
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages540
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size8 MB
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