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________________ आदि :॥०॥ ॐ नमः श्री सुमतिजिनाय ॥ जयइ जय कप्परुक्खो पढम-जिणो जस्स खंधसिहरेसु । सउणाण वल्लहा वालवल्लरी सहइ सिद्धिफला ॥१॥ . अन्त :कवि-प्रशस्ति के अनन्तर प्राप्त लिपिकार-प्रशस्ति निम्न है एवं ग्रंथाग्रं सहस्र ९ शत ६२१ ॥ छ ॥ इति सुमतिनाथचरित्रं समत्तं ।। छ ॥ श्री ॥ छ ॥ श्री ॥ छ ॥ श्री ॥ छ ॥ श्री ॥ छ ॥ श्री ॥ छ । संपादन-पद्धति इन हस्तप्रतों में ल., रा. और हे. प्रतों के पाठ समान हैं और पा., दे. तथा वि. प्रतों के पाठ समान हैं। इस तरह इगों दो पाठ-परंपरा प्राप्त होती हैं। किन्तु दोनों परंपरामें पाठभेद नगण्य ही हैं। ग्रंथकार ने मूल ग्रंथ को पूर्वार्ध-उत्तरार्ध स्वरूप दो भागो में ही विभाजित किया था । पूर्वार्ध में सुमतिनाथ तीर्थंकर के पूर्वजन्म के दो भवों का निरूपण किया गया था और उत्तरार्धमें तीर्थंकर- भव का । प्रस्तुत संपादन में पूर्वाध-उत्तरार्ध दोनों को पाँच-पाँच प्रस्तावों में विभाजित कर कुल दश प्रस्तावों में समग्र ग्रंथ विभाजित किया गया है। प्रत्येक प्रस्ताव के पाठान्तर प्रस्ताव के अंत में दिये गये हैं। पद्यों के क्रमांक नये सिरे से दिये गये हैं। आ. सोमप्रभसूरि और उनकी कृतियाँ __ सुमतिनाथचरित्र के रचयिता आचार्य सोमप्रभसूरि राजा कुमारपाल और आचार्य हेमचन्द्रसूरि के समकालीन थे। सुमतिनाथचरित्र की प्रशस्ति(प्रस्तुत ग्रंथ, पृ. ५१३५१४) में उन्होंने अपनी गुरु-परंपराका एवं अपने समकालीन अन्य महानुभावो का ब्योरा दिया है । प्रशस्ति का अनुवाद इस प्रकार है "विशाल वृद्धगच्छ(चन्द्रगच्छ)स्वरूप गगनमण्डलके चंद्र और सूर्य समान, पृथ्वी के कर्णाभूषणरूप, धर्मरूपी रथ के दो धौरेय समान, संपूर्ण जगत के तत्त्वका अवलोकन करनेवाले दो नयन के समान, निर्वाणरूप महालय के तोरणद्वार के दो महास्तंभ समान थे श्रीमुनिचन्द्रसूरि और दूसरे श्रीमानदेवसूरि । उन दोनों के शिष्य, समग्र गुणरत्नों के निधि समान, प्रसिद्ध आचार्य हो गये अजितदेवसूरि, जिनके चरणकमलमें मुनिगणरूपी भ्रमर-पंक्ति श्रुत -रस के आस्वाद के लिए लगी रहती थी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001386
Book TitleSumainahchariyam
Original Sutra AuthorSomprabhacharya
AuthorRamniklal M Shah, Nagin J Shah
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages540
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size8 MB
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