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प्राकृत भाषाओं का तुलनात्मक व्याकरण [प्राकृत में संस्कृत 'द्रक्ष्य' का 'दच्छ' और पालि में संस्कृत 'लप्स्य्' का 'लच्छ' बन कर उनके रूप मिलते हैं ।]
[प्राकृत में आत्मनेपद के प्रत्ययों जैसे म.पु., ए.व. 'से', अ.पु., ए.व. 'ए' और बहुवचन ‘न्ते, इरे' तथा पालि में ए.व. 'अं'; 'से'; 'ते' और बहुवचन म्हे, मसे; व्हे; न्ते, अरे' के साथ भी रूप कभी कभी मिलते
हैं ।
उ.पु. (ए.व.)
पालेसमि
पालेसहुँ
उ.पु. (ब.व.)
अपभ्रंश (भविष्य काल)
होसमि, करेसमि, (बोल्लिस्सं) कहेहामि पेक्खिहिमि, करीहिमि * पाविसु, कुट्टिसु, करीसु, करेसु, देसु, पेक्खेसु, होहिस्सु जीवेसहुँ, लहेसहुँ, करिसहुँ, करिस्सहुँ, सेविस्सहुँ होसहि, करेसहि, सहेसहि, पेक्खेसहि तरिहहि करिहिसि, होहिसि, जाणिहिसि. करिसहु
पालेसहि
म.पु. (ए.व.)
म.पु. (ब.व.)
पालेसहु
अ.पु.
पालेसइ
(ए.व.)
होसइ, करेसइ होहइ करिहइ, मरिहइ, जिणिहइ होहिइ, करिहिइ
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