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प्राकृत भाषाओं का तुलनात्मक व्याकरण ध्वनि परिवर्तन वाले कुछ अन्य रूप :पालि-पच्च, कच्छ, विज्ज, भज्ञ, हम, दिस्स (पन्य, कथ्य, विद्य, भण्य, हन्य, दृश्य) प्राकृत-गम्म, भिज्ज, जुज्झ, लब्भ, हम्म, मुज्झ, किज्ज, णज्ज, भण्ण (गम्य, भिद्य, युध्य, लभ्य, हन्य, मुह्य, क्रिय, ज्ञाय, भण्य) प्रालि-प्राकृत के कुछ और रूप :-. दीस, जीर, तीर, पूर (दृश्य, जीर्य, तीर्य, पूर्य) भावे प्रयोग :-अकर्मक क्रिया का कर्मणि प्रयोग भाववाच्य प्रयोग कहलाता है। उदाहरण :- खिज्जिज्जइ, जुज्झिज्जइ, डरिज्जइ, थुक्किज्जइ, पडिज्जइ,
बीहिज्जइ, मरिज्जइ, रोइज्जइ, होइज्जइ, हसिज्जइ ।
(ix) प्रेरक प्रयोग प्रेरक रूप बनाने के लिए धातु में 'अय, पय या आपय' के लिए प्राकृत में 'ए, वे या आवे' जोड़ा जाता है और पालि में 'ए, पे, या आपे' जोड़ा जाता है । अपभ्रंश में अंतिम 'ए' तत्त्व कभी कभी 'अ' में बदल जाता है और एक अन्य प्रत्यय 'आड' भी लगता हैं । प्राकृत
पालि
अपभ्रंश दंसे ठावे दंसे ठापे
नास दस्से णहावे
दस्से नहापे दरिसे दरिसावे दरिसे दापे पण्णवे
पापे जाणावे
जानापे निम्मव हसावे
हसापे विण्णव हासे पुच्छावे
पुच्छापे
कारापे धारे गण्हावे
गण्हापे
भमाड मारे मारावे
नाह
हसाव
कराव
वड़े
वत्ते
कारे
करावे
'ड'
मारापे
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