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________________ ७८ जीए मुहस्स ससिस्स य न अंतरं किंतु एत्तियं भिन्नं । संकुइय (यं) कमलसंड ससिणा नो तीए वयण ||८३६|| पीणुत्तुंगपओहर-पणोल्लिया जीए दोवि बाहुलया । मूलम्मि निबद्धफला फणसलयाओव्व सोहंति ॥ ८३७ || गुरुवित्धारा सोहइ जीए नियंबत्थली मणभिरामा । जत्थ सया कयवासो मयणमउ निवसइ सुहेण ॥ ८३८|| जिस्सोरुजंघियाओ सुकुमारतलग्गचरणकमलाओ । तलसंट्ठियकुम्मघडंत-रंभखंभव्व सोहंति ||८३९।। आपायमूलसियथूल-मोत्तियाहरणकिरणकब्बुरिया । जा आणदियभुवणा सरीरिणी मयणकित्तिव्व ॥८४० ॥ कह सव्वंगालोयण- सोक्खं पावंति पेच्छ अच्छीणि । एकुंगचंगिमाए वि बद्धाई व जाइ न चलति ॥ ८४१ ॥ इय सो सलाहणिज्जं तियसाण वि दुल्लहं विसयसोक्खं । तीए समं भुंजंतो गमेइ कालं सुरवइव्व ॥ ८४२ ।। पुव्वकुलकमजणिओ विचित्तजसरायसंगलद्धगुणो । सविवेयनिच्छियमई जिणधम्मे तीए अणुराओ ||८४३ || अह अन्नया कयाइं चंदप्पहदेवदंसणनिमित्तं । कुंतीविहारवसहिं विजयवई पत्थिया पव्वे ||८४४ || चउपुरिसवोज्झकंचण - जंपाणपरिट्टिया सह सहीहिं । बहुसेवयसयसंतय-निवारियासेसपहलोया ॥ ८४५ ।। वारविलासिणिकरकलिय-चडुलचमरावलीविलासिल्ला । पिट्ठपरिट्ठियगायण- गीयरसायन्नणसयण्हा ||८४६ || Jain Education International सिरिभुयणसुंदरीकहा ॥ For Private & Personal Use Only 4 www.jainelibrary.org
SR No.001382
Book TitleSiribhuyansundarikaha
Original Sutra AuthorSinhsuri
AuthorShilchandrasuri
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages838
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size10 MB
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