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सिरिभुयणसुंदरीकहा ॥
अब्भसियसाहुकिरिया सम्मं विनायसयलसिक्खंगा । कयबहुतवोवहाणा समहिज्जियबारसंगा य ॥६१४७।। तह दो वि परमवेरग्गवासणाविहियघोरतवचरणा । जह नियतणुनिरवेक्खा जाया चम्मट्ठिसेस व्व ॥६१४८॥ चिट्ठति गुरुसमीवे असेसकम्मक्खयंमि उज्जुत्ता । विहरंति दो वि सुहिया सह गुरुणा बंभगुत्तेण ॥६१४९॥ पव्वइए नरसीहे असोय-सेहरयरायपरियरिओ । पविसइ चंपं वीरो सुरवइलीलं विडंबंतो ॥६१५०॥ तो तत्थ तुंगभद्दे पासाए सयलरम्मयानिलए । सीहासणोवविट्ठो आसासइ सयलपुरलोयं ॥६१५१॥ संठवइ सयलसेन्नं हरि-करि-रह-पुरिसतप्पहाणाण । काऊण गुरुपसायं जहठाणं ते निरूवेइ ॥६१५२॥ भंडाराइसु ठाणेसु तह य काऊण सव्वसुत्थाई । सव्वेसु जहट्ठाणं निओइवग्गं निरूवेइ ।।६१५३॥ गामागर-पुरपट्टण-दुग्गाहिट्ठाण-देस-विसयाण । हक्कारिऊण वुड्ढे जहजोग्गं कुणइ सुपसायं ॥६१५४।। सिक्खवइ 'कुणह धम्मं पावं परिहरह वट्टह नएण । पालह नियमज्जायं जहसत्ति परेसु उवयरह ॥६१५५।। नियवन्नववत्थाए वट्टह पालह उचियमायारं । जीवेसु कुणह करुणं परिहरह असच्चवयणं च ॥६१५६॥ मा गिण्हह परकीयं तणमेत्तं पि हु चएह परनारिं । वज्जह लोयविरुद्धं मज्जं मंसं च परिचयह' ॥६१५७।।
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