SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चारित्र्य सुवास दिखाकर उसने कहा, 'मेरे पास तो इतना ही है ।' साहब ने कहा, 'मैं तेरी सहायता कर सकता हूँ परन्तु मेरे कहें अनुसार तुझे चलना पड़ेगा।' भिखारीने स्वीकार किया। अब बाजार में जाकर दोनोंने वे दो पतीलियाँ बेच दीं और जो पैसे मिले उनमें से एक कुहाड़ी और थोड़ा आटा खरीदा । साहबने भिखारीसे कहा, 'यह आटा आजकी रोटीके लिए काम आयेगा और कलसे पासके जंगलमें जाकर लकड़ी काट लाना और बेचकर अपना निर्वाह करना ।' भिखारीने दूसरे दिनसे प्रतिदिन उसी प्रकार करना चालू कर दिया। अल्प समयमें तो वह अच्छी तरह अपने पैरोंपर खड़ा हो गया और उसकी भीख मांगनेकी टेव भी सदाके लिए निकल गयी । इसप्रकार मेहनतकी रोटी खानेकी प्रेरणा देनेवाले पुरुष थे महात्मा हज़रत मोहम्मद पैगम्बर साहव । ७७ और यौं, एक महात्मा पुरुषकी सलाह उसके लिए महान वरदान बन गयी । ६८ प्रेरणाकी परम्परा उत्तर प्रदेशमें कुछ वर्षों पहले हुई यह घटना है। एक ग़रीब कुटुम्बका एकमात्र पुत्र बहुत बीमार हो गया। कुटुम्ब की परिस्थितिके कारण डॉक्टरको निदानके लिए घरपर बुलानेमें विलम्ब हुआ, परन्तु अन्तमें डॉक्टरको बुलाना अवश्य पड़ा । नगरके प्रसिद्ध बालचिकित्सक डॉ. गुप्ता साहब www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.001380
Book TitleCharitrya Suvas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Siddhsen Jain
PublisherShrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba
Publication Year2005
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy