SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६५ 'प्रभु ! सब तेरा ही है' - - - - तो उसे विचारने लगा कि है और यह खेत एक बालकको, उसके माँ-बापने खेतका जतन करनेका काम सौंपा था। बालक तो खेतमें बैठकर ईश्वरस्मरण करता। एक समय वह खेतमें चारों ओर फिर रहा था तब उसे देखकर पक्षी उड़-जाने लगे। बालकने यह देखा तो उसे दुःख हुआ और मनमें विचारने लगा कि 'ये पक्षी परमात्माके हैं और यह खेत भी परमात्माका ही है !' ऐसा विचारते हुए उसके मुख मेंसे शब्द निकल पड़े कि हे पक्षियो ! मुझसे डरे-बिना तुम पेट भरकर खा लो, खा लो। जानते हो यह बालक कौन था ? पंजाबके प्रसिद्ध सिक्ख गुरु नानक साहब। ___जब वे बड़े हुए तब उनके पिताने उन्हें अनाजकी दुकानपर बैठाया। एक बार कुछ साधु इस दुकानपर आये। प्रत्येकको अनाज देते-देते वे अनुक्रमसे एक, दो, तीन...बारा, तेरा, इसप्रकार बोले। 'तेरा' शब्द आते ही 'तेरा' अर्थात् 'हे भगवान तेरा' ऐसा अर्थ हृदयमें स्फुरायमान हुआ, और वह मन-ही-मन विचारने लगे कि, हे ईश्वर ! इस जगतमें सब 'तेरा' ही है। दुनियाकी किसी भी वस्तुपर मेरा अधिकार नहीं है। हमें भी सभी वस्तुओंपरसे 'मेरापन'का मोह छोड़कर उनपर ईश्वरका अधिकार स्थापित करना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001380
Book TitleCharitrya Suvas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Siddhsen Jain
PublisherShrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba
Publication Year2005
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy