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________________ चारित्र्य-सुवास उड़ रहे थे। सम्राटको मरा हुआ जानकर एक गिद्ध उनकी ओर आया। सम्राटके अंगरक्षक संयमरायने उस गिद्धको देखा कि तुरंत उसने अपने शरीरपर तलवार मारकर मांसका बड़ा टुकड़ा उस गिद्धकी ओर फेंका। गिद्ध उसे खानेमें लग गया। दूसरा सैन्य सम्राटकी सहायताके लिए आये उसके पूर्व संयमरायको अनेक बार अपने शरीरका माँस गिद्धोंको देना पड़ा। सद्भाग्यसे नयी मदद आ गयी और सम्राट तो बच गये परन्तु उनके अंगरक्षक संयमरायके शरीरका बहुत मांस गिद्धोंको खिलानेके काममें आ गया था इसलिए वे वीरगतिको प्राप्त हुए। संयमरायका पार्थिव शरीर तो चला गया परन्तु अपने स्वामीके प्रति, जीवनके अन्तिम श्वास तक टक्कर लेनेवाले उस वीरकी उज्ज्वल कीर्तिको कौन नष्ट कर सकता है ? श्रमका आदर जब नेपोलियन बोनापार्ट सम्राट बन गया उसके बाद एक समय वह अपनी प्रेयसीके साथ एक छोटे मार्गपरसे निकल रहा था। बाईको अपने उच्च कुलका, धनका और यौवनका अभिमान था।। वे लोग आगे चले, वहाँ एक सँकरा मार्ग आया। राजा किसी कारणसे कुछ कदम पीछे रह गये। इतने में एक गरीब मज़दूर सिर पर बोझ उठाये सामनेसे आया। वह बाई तो पहलेकी भांति ही रोबसे चलती रही, जाने कि उसने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001380
Book TitleCharitrya Suvas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Siddhsen Jain
PublisherShrimad Rajchandra Sadhna Kendra Koba
Publication Year2005
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size4 MB
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