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चारित्र्य सुवास
नमाज पढ़ते रहे। थोड़ी देर में सिंह वहाँसे चला गया, तब शिष्य वृक्षपरसे नीचे उतरा। नमाज़ पूरी होनेपर दोनों चल निकले। चलते-चलते रास्तेमें खैयासको मधुमक्खीने डंक मारा जिससे उनके मुखसे चीस निकल पड़ी। शिष्य बोला, 'यह कैसे आश्चर्यकी बात है ! हाथीको थर्रा देनेवाले सिंहके सामने उँह तक नहीं की और इस मच्छर जैसी मधुमक्खीके डंकसे चिल्ला उठे !"
खैयासने कहा, 'उस समय मैं परमेश्वरके ध्यानमें डूबा हुआ था, इस समय तेरे साथ मनुष्यके साथ हूँ । परमात्माके साथ एकतान होनेवालेको विश्वकी कोई शक्ति नहीं डरा सकती ।
सच्ची शोभा
माधवराव पेशवा मुख्य न्यायाधीश और महान राज्येसवक श्री रामशास्त्रीका नाम महाराष्ट्रके इतिहासमें अमर है। वे सदा एक आदर्श राजसेवकके रूपमें कार्य करते और बिना किसी आडम्बरके सतत लोकसेवामें लगे रहते थे।
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एक बार उनकी धर्मपत्नीका किसी कारणवश राजमहलमें जाना हुआ। महारानीने उन्हें देखा तो बिलकुल सादी साड़ी और शरीरपर कोई खास आभूषण भी नहीं महारानीको लगा कि गुरुपलीकी ऐसी स्थिति हो तो वह राज्यके लिए निन्दाका कारण है ऐसा विचारकर महारानीने गुरुपलीको नये वस्त्र,
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