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गो-रक्षा करो
१ हिन्दुओं अब पूर्वजों के राह पर चल दीजिए सौख्य चाहो तो सदा गोवंश पालन कीजिए रात दिन जाती है मारी यहाँ बिचारी गाय हो
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गौर करता है न कोई इनकी कुछ सुध लीजिए ३ सामने देखो तुम्हारे रक्त नदियां बह रही देखते हो क्या दयालू बन्द यह बध कीजिए पालना करती तुम्हारे जो सकल परिवार की
वृद्ध पनमें कातिलों के हाथ में मत दीजिए
५ दूध घी दुर्लभ हुवा बल वीर्य सब जाता रहा हो गये जीते मृतक सम देह निज लख लीजिए ६ दूर जब तक हिन्द से होगी न गोबध की प्रथा उन्नती की तब तलक आशा न बिल्कुल कीजिए. धीर पृथ्वीचन्द्रजी का शिष्य कहता है अमर हिन्दुओं ? हिन्दुत्व अपना अब तो दिखला दीजिए मु. जिद १९८७ वैशाख
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