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________________ नाम से जाने-नानं लगे । कविजी महाराज के विशाल गीत भंडार के आत्मशक्ति एवं कर्मशक्ति जगाने वाले १०० गीत प्रस्तुत भावांजलि में संकलित है । ( विशेष ) जिनशासन के प्रसार के गीरमापूर्ण इतिहास में महिमामंडित नाम होगा। आचार्य श्री चन्दना श्रीजी का । गौरव है, कि वह मेरी प्रियाति प्रिय शिष्या है। उनकी सौ- प्रेमकुंवर कटारिया, जो दिव्य आत्मा को जन्म देने के परम सौभाग्य से धन्य धन्य हुई है । बचपन से हम दोनों साथ-साथ रहे हैं । बहुत करीब से जीवन की दीर्घ यात्रा हमने तय की है । छोटे-बड़े, गरीब-अमीर, सबको सफल जीवन जीने के लिए जिसमें मां की ममता एवं अनुशासन बराबर मिलता है, नवनीत सी कोमलता एवं वज्र चट्टान सी दृढ़ता उभय रूप एकसाथ जिनमें साकार हुए हैं। संपूर्ण नारित्व जिनमें आविर्भूत है ऐसी महान नारी हैं । प्रेमकुंवर बहन । उनके उदार सहयोग से यह समर्पण संभव हो पाया है । प्रार्थना एवं चिन्तन की वेला में अवश्य ही यह पुस्तिका आपके भावों में विचारों में प्रेरणा देगी, ओर जो जीवन को जगायेगी । समग्र भावों के साथ श्री चन्दनाजी के जन्म दिवस पर भेंट साध्वी श्री सुमती कुंवरजी महाराज वीरायतन (ग) For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001377
Book TitleBhavanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherVeerayatan
Publication Year1996
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size4 MB
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