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इन प्रवचनों का आलेखन व संपादन श्रद्धेय आचार्य श्री चन्दना श्री जी की शिष्या साध्वी श्री संप्रज्ञा जी ने किया है। उन्हें किन शब्दों में साधुवाद +, शब्द नहीं मिल पा रहे हैं । आशा है भविष्य में भी अन्य प्रवचनों का संकलन/संपादन करके प्रवचन-साहित्य में अभिवृद्धि करेंगी।
श्री महावीराष्टक के अतिरिक्त इसमें अन्य दो अष्टक भी हैं- श्री अमराष्टकम् और श्री चन्दनाष्टकम् । रचयिता हैं- प्रोफेसर श्री राममोहन दास, एम्.ए. पी.एच-डी., डी. लिट् । यद्यपि प्रोफेसर आर. एम. दास को गुरुदेव के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ तथापि उनके साहित्य का अध्ययन-मनन करके उनके व्यक्तित्व तथा कृतित्व से प्रभावित होकर के उन्होंने 'अमराष्टकम्' की सुन्दरसरस-सलिल संस्कृत भाषा में रचना की है। चन्दनाष्टकम् की रचना उन्होंने आचार्य श्री चन्दना जी के ६२ वें जन्मोत्सव के पावन प्रसंग पर की है। ये दोनों अष्टक भी इन अष्टकों की परम्परा में जुड़ गये हैं। भक्तजन इन्हें भी कण्ठाग्रकर अपनी भक्ति को और अधिक प्रगाढ़ बनाएंगे ही। इसी में साध्वी श्री के संकलन/संपादन का श्रम सार्थक होगा।
भद्रेश कुमार जैन एम्. ए. साहित्य रत्न, पी. एच-डी. वीरायतन, राजगीर-८०३११६
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