________________
अनेकान्त है तीसरा नेत्र
ऊंट रहेगा। दही का काम ऊंट नहीं करेगा और ऊंट का काम दही नहीं करेगी। किन्तु क्या सच्चाई को हम सर्वथा अस्वीकार कर दें? आज जिन परमाणुओं ने दही की रचना की है, वे ही परमाणु काल के अन्तराल में, परिवर्तित होकर ऊंट के शरीर की संरचना कर सकते हैं। आज जो परमाणु ऊंट के शरीर की संरचना कर रहे हैं वे परमाणु भी बदल सकते हैं और कभी दही के रूप में परिवर्तित हो सकते हैं। हम इस सम्भावना को कभी अस्वीकार नहीं कर सकते । सम्भावना और वर्तमान पर्याय .. दो धाराएं स्पष्ट हैं । एक है-सम्भावना की धारा और एक है-वर्तमान पर्याय की धारा । इन दोनों धाराओं को उचित समझ लेने पर व्यवहार भी सधता है और निर्णय में भी कोई कठिनाई नहीं होती। अच्छा निर्णय वही होता है जो वर्तमान पर्याय के आधार पर लिया जाता है और सारी सम्भावनाओं को ध्यान में रखा जाता है। सम्भावनाओं के साथ चलकर सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक-सभी क्षेत्रों में प्रगति के द्वार खल जाते हैं और व्यक्त अनन्त सम्भावनाओं को संजोकर विकास होता जाता है।
व्यक्ति वहां उलझता है जहां एकांगिता है। एक आदमी ने नौकर रखा और मान लिया कि वह बहुत ईमानदार है। उसे पाला-पोषा। सारी सुविधाएं दीं। एक दिन वही नौकर धोखा दे बैठा और पांच लाख की चोरी कर भाग गया। अब वह स्वामी गिड़गिड़ाने लगा। वह अब दुःखी इसलिए हुआ कि उसका निर्णय एकांगी था। उसने यह सम्भावना नहीं की कि एक दिन वह धोखा भी दे सकता है। वर्तमान पर्याय के आधार पर निर्णय लेना अच्छा है, किन्तु भावी सम्भावनाओं को भी कभी अस्वीकार नहीं करना चाहिये।
दो आदमी एक साथ एक ही व्यवसाय प्रारम्भ करते हैं। एक व्यक्ति एकांत रूप से वर्तमान पर्याय में ही अटक जाता है, सम्भावनाओं को अस्वीकार कर देता है और दूसरा सम्भावनाओं के द्वार को खुला रखकर वर्तमान के आधार पर व्यवसाय करता है और देखते-देखते आगे बढ़ जाता है। पहला व्यक्ति पछताता है और हाथ मलते हुए कहता है-अच्छा होता, मैं भी वैसा ही करता। ___ व्यक्ति का सारा पुरुषार्थ, सारा पराक्रम, सारी प्रगति, सारी कल्पनाएं और योजनाएं सम्भावनाओं के आधार पर चलती हैं। ये सम्भावनाएं अनेकांत दृष्टि के बिना हो नहीं सकतीं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org