________________
समन्वय
३७
पति-पत्नी रोज लड़ते थे। एक दिन पड़ोसी इकट्ठे हो गए। एक समझदार आदमी ने पूछा-इतने क्यों लड़ते हो? क्या कारण है ? रोज-रोज लड़ना अच्छा नहीं है । पति बोला-सदा से ऐसा नहीं लड़ते। यह शादी का तीसरा वर्ष है । पहले वर्ष में पत्नी बोलती और मैं सन लेता। दूसरे वर्ष में मैं बोलता, पत्नी सुन लेती। यह तीसरा वर्ष है। हम दोनों बोलते हैं और पड़ोसी सुनते हैं।
प्रश्न है कि हम भी उस स्थिति तक कैसे पहुंचे, जिससे बाहर का कुछ न सुनें और अपने भीतर का सुन सकें । यह संभव हो सकता है श्वास-दर्शन की प्रक्रिया के द्वारा । इस प्रक्रिया से गुजरते-गुजरते हम आत्मा तक पहुंच सकते हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org