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Pu. III.10 Mk. III. 43
संक्षिप्तसारे प्राकृताध्यायः
[ II. 91मादेहः ॥६॥ गिम्हो । स्म । विम्हिओ। म । पम्हो ॥ ग्रीष्मः । विस्मितः। पक्ष्मम् ॥
न्हो ह्रस्य ॥१२॥ कल्हारो ।। कहारः॥ टीका। अत्र उपान्त-मनयश्चेति ( II. 48 ) लकारलोप इति केचित् ।।
Vr. III.8
Ho. II.76 T.I.4.66
VE.III.8,32
HO.II.74 T.I.4.67.68
म्हो मस्य ॥१३॥ बम्हणो॥ ब्राह्मणः ॥
Mk. III. 62
Ho. II.67 T.I.4.61
ब्भो हस्य ॥१४॥ गन्भरो॥ गह्वरः॥
म्मो न्मस्य ॥६॥
Vr. III. 43 Pu. III. 15 Mk. III. 66
Hc. II.61 T.I.4.48
उम्मत्तो ॥ उन्मत्तः ॥
Vr.III.8,33
Ho. II.76 T. I.4.69
70
ण्हो ह्रस्य ॥६६॥ वण्ही ॥ वह्निः॥
ष्प-स्पयोः प्फः ॥१७॥
Vr.III.86-36 Pu. III. 12 Mk. III. 48
HO.II.53 T.I.4.44,76
पुप्फं। फंसो ॥ पुष्पम् । स्पर्शः॥
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