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H. I. 163
Vr.1.37 RT. I. 1.21 Mk. I.44
Vr. I. 41 RT.I. 1.22 Mk. I.48
Hỏ. I. 159 T.I.2.101
| VI. I. 40
RT.I.J.22 Mk. I.47
Hc. I. 156 T.I.2.95
-1. 43 ] . स्वरकार्यम्
११ देवे वा ॥३८॥ दइवं दइव्वं देव्वं वा ॥ दैवम् ॥
ओद् औत् ॥३६॥ औकार ओद् भवति ।। कोमुई ॥ कौमुदी ॥
ओद् अद् वा प्रकोष्ठे कश्च वः ॥४०॥ 1.5.22_ii. a. 35 पओट्ठो पवट्ठो वा ॥ प्रकोष्ठः ॥
अउः पौरादेः ॥४॥ पौरादेः औद् अउर्भवति ॥ पउरो पौरः॥ पौरव कौरव पौरुष कौशल इत्यादि ॥ [ पउरव। कउरव । पउरुस। कउसल।]
आ वा गौरवे ॥४२॥ गउरवं गारवं वा ॥ गौरवम् ॥ .
सौन्दर्यादेरुन्नित्यम्' ॥४३॥ सुदेरं सौन्दर्यम् ॥ मौजायन शौण्ड शौण्डिक कौशेयक दौवारिक' इत्यादि ॥ [ मुंजायण। सुड। सुडिअ। कुक्खेअअ। दुवारिअ ।] टीका। शय्यादेरेद् ( I. 4 ) इति एद् भवति ॥
___ इति11 स्वर-कार्य निवृत्तम् ।।
Vr. I. 42 RT. I.1.23 Mk. I.49
He. I. 162 T.I. 2. 106
Vr.I.43 Ho. I.163 RE. I.1.28T.I.2.106 Mk. I.51
Vr. I. 44
c.I. 160 RT. I.1.22-23 T.I. 2.97 Mk. I. 62
1) P. दइवं, दैव्वं ; 81 दइन। 2) P. औदोत् । 3) ABCCI -कश्च रः। 4) B. पवट्टो । 5) P.-रौदुर्भवति । 6) Not found in B. 7) After this
B has नित्यं वा । 8) A. सौण्डिक | 9) CC1. दौवारिकेत्यादि । 10) Found in S only. 11) Nob found in ABOOISS..
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