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________________ कहकोसु [ ५११ घत्ता - प्रवरेणावेप्पिणु भिउडि करेपिणु उट्ठि भणिउ जसमइहे वरु । राणउ भणइ पहाणउ बइसेसइ बंभणु अवरु ॥ १५ ॥ अग्गास १६ ५०. १८. २ ] तुहुँ केणाणिश्रो सि लहु नीसरु एम भणतो तो रुहियउ नीसारिउ कोवें कंपंतउ जस रज्जेण कज्जु सो प्रावउ ता रज्जत्थिउ नंदहो केरउ पुट्ठिहे लग्गउ तं लेप्णुि धणु तहिँ कइवयदिवसाइँ वसेप्पणु निसु तत्थ विमाणिउ मत्तउ ताम कहिउ केण वि श्रावेष्पिणु बुद्धिमंतु जलदुर्ग तं निसुणेवि तेण प्राणाविउ नंदकंद उप्पाडणचित्त हो उ घत्ता-ता तत्थच्छंतें विरइयमंतें भेउ करेवि नंदु नीसारिउ रज्जसोक्खु ससिगुत्तहो दिन्नउ पण डिगाहि मंतित्तणु भुंजेवि सोक्खु सुइरु निव्विन्नउ गुरुणा मइवरणामि दिक्खिउ सीसहिँ पंचसयहिँ परियरियउ महि विहरंतर दक्खिण देस हो तहिँ कोंचउरहो पच्छिमभायप्र [ गंपि दुवारि चिट्ठ निरु नीसरु । ] तेण वि रूपिणु गले गहियउ । उ पुरबाहिरु एम भणतउ । नंदवंसवच्छेउ विहावउ । चंदगुत्तु नामें दासेरउ । गउ चाणक्कु णंदमा रणमणु । पुणु थिउ जलहिम जामच्छइ उवाउ चिंतंतउ । वराहो सीहो पणवेष्पिणु । अच्छइ पुरिसु एक्कु मइँ दिट्ठउ । आयनेवि वइयरु मर्ण भाविउ । किउ कज्जत्थिएण प्रायरु तहो । पइसे पिणु । मेलावेप्पिणु मावइया । चाणक्के ठक्कुरनंदहो किंकर सयल वि उवयारहिँ लइया ।। १६ ।। १७ हे नंदमरणे भयभरियउ तत्थावेष्पिणु थिउ दूमियमणु Jain Education International मई मंतीसह मारिउ । पालिउ दियवरेण पडिवन्नउ । चितिउ देसु कोसु सुहि परियणु । सुवि धम्मु जितउ पडिवन्नउ । हु संघाहि सव्वुवि सिक्खिउ । नं सयमेव धम्मु अवयरियउ । गउ चाणक्कु मुणी वणवासहो । श्रावासिउ गयगोउलवाय । ५ घत्ता - कोंचउरहो राणउ सक्कसमाणउ वसुमित्तउ वसुमइरमणु । गउ तत्थ मुणिदहँ तिहुयणवंदहँ वंदणहत्ति सुइयमणु ।। १७ ।। १० १८ मंति सुबंधु नामु नीसरियउ । पत्तउ गुणहिँ रायमंतित्तणु । १० For Private & Personal Use Only ५ www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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