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________________ ४६६ ] जण मणनयणानंदजणेरउ तामुज्जाणे थाहि परमेसर एत्थासहिँ विवि सतामस पेक्खेपिणु रउद्द रूसे सहिँ तदेव वयवहारिउ पच्छिमदिस पसे मनोहरे वीसमंति किर जाम खणतरु जोइणिभूयसत्थु संपत्तउ घोरुवसग्गु तेण प्राढत्तउ मुणगण निसि समाउल चित्तउ विज्जुच्चरु पक्कु थिरचित्तउ इह भरहखेत्ते पावियपसंसे पुवइ उवरिचरा हिउ सइ सक्कहो रइ व मणोभवासु नंद वीराहिहाण एक्कहिँ दिने निवइ वसंतमासे अंतेउरपुरपरियणसमेउ घत्ता - संवलि थालि व सिहिणा पोमावई अमिय पहाप्र वकील करेपिणु सुइरु राउ जलकील करहुँ सुहृदंसणाहे Jain Education International सिरिश्चंद विरइयउ सव्वंगु वि जलिउ । तो विन मणु गिरिधीरहो गुरुदत्तहो चलिउ ||८|| ९ ताम तत्थ महिले महाइप्रो मयणवेयनामा मन्निग्रो मच्चलो प्रनो न एहनो सुविउ ईसाइ पई वोलइ जाम महुच्छउ मेरउ । मा पट्टणे पइस रहि मुणीसर । भूय पिसाय नाय गह रक्खस । ते तुम्हहँ उवसग्गु करेसहिँ । चवि उम्मोहिँ पइसारिउ । थिय साल हो समीर्व अब्भंतरे । ताम निसायरणियरु भयंकरु । मुणि निएवि कोवग्गिपलित्तउ । कायमेत्तमसयहिँ खज्जंतउ । नट्ठ दिसोदिसु तं प्रसहंतउ । तं सहिऊण मोक्खु संपत्तउ | धत्ता - मीणइरंभुव्वसिसइसहिउ फुरंतपहु | [ ४६.८३ १० सावत्थीपुर इक्खाउवंसे । होउ विवक्खवणजायवेउ । पोमावइत्ति महएवि तासु । वरपंचसयहँ पुत्तहँ पहाणु । जणमणहरे सयणुच्छवपयासे । उज्जाणवणं गउ रमणहेउ । सुप महाविप्र पहा । एयाहिँ समउँ बद्धाणुराउ | वावि पट्टु सुहदसणाहे । विविहविणोयहिँ सक्कु व कीलइ जाम पहु ||९|| For Private & Personal Use Only ५ १० १५ विज्जुदादु खेरु पराइयो । तो पिया निवु नियविवन्नि । नाइँ कामु कमणीय हो । गंपि गेहु थविऊण तहिं सई । १० www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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