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________________ ४६४ ] सिरिचंदविरइयउ [ ४६. ३. ४ ५ जमदंडेण भणिउ मइँ कलियउ निच्छउ एहु चोरु नउ अलियउ। एम भणेप्पिणु नेप्पिणु नियघरु सेहिउ रत्तिहे पक्खसमरहरु। विविहपयारहिँ दंडण सहियउ तो वि न तेणप्पाणउ कहियउ । हा हउँ देसिउ वाहिवसंगउ निरवराहु मारिज्जमि लग्गउ । एम भणंतु तेण अत्थाणण कहिउ नरिंदहो नेवि विहाण। एहु नराहिव चोरु निरुत्तउ होमि न कुसुमालेण वि वुत्तउ । धत्ता-ता पुच्छंतहो देप्पिणु अभयपदाणु तहो । हउँ लंपेक्कु निरुत्तउ तेणक्खिउ निवहो ।।३।। .. युमत्तउ एउ सुणेप्पिणु विभिय मइणा किह प. पुणरवि पुच्छिउ पइणा । दूसहाउ तक्कर कहि अहियउ जायणाउ बत्तीस वि सहियउ । कहिउ तेण मुणिणा वावन्निउ मइँ नारइउ दुक्खु आयन्निउ । ते सुमरेवि एउ अणुमेत्तउ मन्नेवि सहिउ कयत्थियगत्तउ । ता तूसे प्पिणु पहुणा वृत्तउ [मग्गि एक्कु वरु देमि निरुत्तउ] । ५ भणिउ तेण निव एत्तिउ किज्जउ महु मित्तही तलवरहो खमिज्जउ । प्रायन्नेवि एउ अणुराएँ पुणु पुच्छिउ विज्जुच्चरु राएँ । कहहि किमेउ दूहणनिवारउ जायउ मित्तु तलारु तुहारउ । घत्ता--भणिउ तेण प्रायन्नहि पुहईसरु पयडु । अत्थि अहीरविस पुरु वरु वेन्नायतडु ।।४।। १० पालइ तं जियसत्तु पहू विज्जुच्चरु नामें तणउ जमपासहो निव तलवरहो सो जमदंडु एहु पयडु हउँ एउ वि एयग्गमणा पढहुँ समप्पिय सुंदरहो पढमि गंथु हउँ कल्लरहो एक्कहिँ वासरे एहु मई होएवउ आरक्खिएण चोज्जु करेवउ निच्छइण जयमइ नामें तासु वहू। हुउ हउँ तहे फ्यणियपणउ । नंदणु नयविक्कमपरहो । मित्तु महारउ कोडिभडु । बालभावे तहिँ वे वि जणा। पियपियरहिं पाढयवरहो। एहु वि सिक्खइ तलवरहो । भणिउ नराहिव जत्थ पइं। तहिँ मइँ मित्त सुसिक्खिएण । एण वि भणिउ अतुच्छइण । १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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