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सिरिचंदविरइयउ
[ ४८. १२. ६अन्नहिँ घर लेप्पिणु बंभचेरु
थिय सुणिवि एउ निम्महियवेरु । जंपइ पुहईवइ जायखेउ
जुज्जइ अम्हहँ घरे वउ ण एउ । इय भर्णवि निसिह भुक्तसाणे
घल्लाविय एक्कल्लिय मसाणे । गुरुहारण नवमासहिँ तणूउ
तहिँ ताण तम्मि समए पसूउ । घत्ता--एत्तहे हेक्करंतु सुहउ सिविणंतर सियवसहु निरिविखउ । १०
सुप्पहाग पुह ईसरेण मइमयरहरहो मंतिहे अविखउ ।१२।।
तेण वि आयन्नेवि भणिउ नाहु
तुज्झज्ज देव हुउ पुत्तलाहु । जइ सिविणयसत्थु पमाणु अत्थि
तो होइ ण मइँ भासिउ अणत्थि । सव्वाउ तो पहुणा पियाउ
कहे जाउ पुत्तु पुच्छावियाउ । दूहवियहँ अम्हहँ ताहिँ वुत्तु
पोट्टेण विणा कहिँ हूउ पुत्तु । जा पिय मेल्ल हि एक्कु वि न ताल तहे तणउ गवेसहि सामिसाल। ५ ता ताहि गवेसहुँ पहिउ पुरिसु
तेण वि आवेप्पिणु जणिउ हरिसु । बद्धावियो सि लक्खणहिँ जुत्तु
जायउ जिणयत्तम देव पुत्तु । निसुणेवि एउ परियोसिएण
प्राणाविय सा पुहईपिएण । काराविउ पर मुच्छउ पुरम्मि
तिहि वारि मुहुत्ति मणोहरम्मि । सिविण पालोइउ वसहसेणु
किउ नाउ सुयहीं तें वसहसेणु। १० पुणरवि पत्थिवो अणोवमाए
माणंतहो रइसुहु समउ ताए । संजाउ अट्ठवरिसिउ कुमार
पच्चक्खु नाइँ सयमेव मारु । घत्ता-एक्कहिँ दिर्ण उक्कावडणु' अवलोइवि वइरायहो पाएँ । रायपटु तुह भालयले बंधमि भणिउ तणूरुहु राएँ ॥१३॥
१४ तणएण भणिउ कहि कवणु ताय
महु बंधहि पटु कयाणुराय । किं नरहँ सुरहँ सुहसयनिवासु
अहवक्खहि मोक्खपहुत्तणासु । पहुणा पउत्तु नररायप?
बंधमि तुह पहयाहियमरट्ट । जो सग्गहरे मोक्खहो प? पुज्जु
सो पर तवेण बंधइ' मणोज्जु । वयणेण एण परिहरेवि रज्जु
किउ तेण सताएँ अप्पकज्जु । ५ रिसि होइवि एयविहारि जाउ
विहरंतु संतु कोसंबि आउ । पायावणजोएँ सुंदरम्मि
थिउ तत्थ दयावदगिरिवरम्मि । १३. १. एक्कवडणु।
१४. १ वसह।
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