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४७. १५. २ ],
वणदेवि वि निच्च नयरु करइ पर तं न वियाणइ निव्विसउ अच्छंतहँ तहँ तत्थ गरुया सव्वत्थ वि हय भुक्खा पय सावयहिँ मिलेप्पणु भणिय जई रंधहुँ न वि महुँ पावियइ तं तुम्हइँ जाम एहु विसमु तामार्णवि गेहो रयणियहे गुण केवलु कालुच्चित्ते कए किं किज्जइ किज्जउ अप्पहिउ
घत्ता - एउ जइहिँ सावयजणवत्तउ जो कालुच्चित्तेण न चल्ला
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तो दिवसहो लग्गेवि सव्व रिसि पणु सावयभवणाइँ घणे प्राणेवि चरिय जिणवरभवणे अन्नोन्नु जे सइँ भाणउ घरहि एक्aहिँ दिने ताम एक्कु सवणु तत्थेक्क बहुभयभावियहे सहसति गब्भु तं निप्रवि चुउ तं पेक्खेवि गंपिणु सवणगणु निग्गंथु रुवु तुम्ह तणउ तं तुम्हइँ धवलविसालियए वामंसि निहित्त सोहण इं दाहिण करेप्पणु दंडु करे
कहको
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घत्ता --- पुणु सुकाले पच्छित्तु करेज्जह
गउ दुसमु तेहिँ निच्छउ मुणिउ
as aफालिय परिहरह
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भुंजेवि ए उवसंघरइ । एत गय साहु सिंधुविसउ । यदि दीसंति निरंतर रंकसय ।
हा भग्ग लोयववहार गई । दि रंकहिँ जणु संतावियइ । वोलइ दुक्कालु कयंतसमु । वसही भत्तु भुंजह दियहे । फलु किं पिनत्थि अट्टेण मए । कुसलहो तर प्रागमे वि कहिउ । १० पडिवन्नउ परियार्णवि जुत्तउ । तहो हुं पासु कयावि न मेल्ला ||१३||
दिहे दुब्भिक्खरुया ।
लेप्पणु भिक्खाभायणइँ निसि । सव्वत्थ वित्त रंकजणे ।
प्पणु कवाड भुंजंति दिने । तहिँ एम जाम ते नित्थरहि । भिक्खहिँ पट्ठ निसि भीमतणु ।
भणिहि नवल सावियहे । मिलियउ जणु हाहाकारु हुउ । सावयहिँ भणिउ विणएण पुणु । दीस निसिसमग्र भयावणउ । restry अद्धफालियए । पच्छाइवि भिक्खाभायणइं । चरि पइसेज्जह निसिहि भरे ।
नियवयसंजमम्मि थाएज्जह |
तं पितेहिँ किउ समउ वियाणेवि गउ दुकालु लोयहो खउ प्राणेवि ॥ १४॥
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हक्कावि गणु गणीहिँ भणिउ । पुणरवि निग्गंथरूवु धरह |
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