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________________ ४६४ ] सिरिचंदविरइयउ घत्ता—ठाइज्जउ मज्जणहरे रायरोसरहिउ । ण्हाएप्पिणु पुज्जेज्जउ देउ देवमहिउ ।।९॥ Tr ... " तहो वयणाणंतरे जयमईप भासिउ भज्जा सयंपहाण सोमसिरिश नंदन सिरिमई पियमइए पियंगुसिरिश पियार सिरिकतम अवरु ससिप्पहाण सरसइए अणंतमइ सई बंधुसिरिए धन्न धणमई उह लहु वट्टइ वड्डु वार .. ण्हाएप्पिणु पुज्जह देवदेउ । को एहु एउ जाणिउ न जाम तह सुव्वयाए सुंदरमई। सिरिदत्त मित्त सुप्पहाए । बंधुमइ सुमइ सुहमईए। विमलमइए विमल तडिलया । अवराइयाण विजयण जयाए । गुणमइयण गुणमाला रईए। तरलच्छिण लच्छिश जयसिरी । सिद्धी रसोइ नाणापयार । वज्जह वासंगु म करह खेउ । तेणुत्तु न भोयणु करमि ताम। १० घत्ता-ता तहो गाहु निएप्पिणु गुज्झ न रक्खियउ । . एहु जणेरु तुहारउ धाइप अक्खियउ ।।१०।। नामें सिद्धत्थु सिसुत्तकाले बंधेवि पट्ट तुह तणय भाले । निम्विन्नचित्तु निग्गंथु जाउ रिसि तउ करंतु अज्जेत्थु आउ । मासोववाससोसियसरीरु. . .. सायरगंभीरु गिरिंदधीरु । इह पुत्त वीरु भिक्खण पइठ्ठ भामरे भमेवि पइँ जंतु दिछ । आयनेवि एउ सुकोसलेण जंपिउ सुहिसज्जणवच्छलेण । फुडु मइँ वि समुज्झियरइरसेण । भुंजेवउ होवि तारिसेण । इय भणेवि धरिज्जंतु वि घराउ... निग्गउ सहसत्ति मणोहराउ । पुच्छंतु संतु उज्जाणभवणु गउ दिठ्ठ साहु कंदप्पदवणु । धत्ता–तं जोइवि जाईसरु जायउ सेट्ठिसुउ । . सुमरिउ पुत्वभवंतरु जो जहिँ जेम हुउ ।।११।। मलयायलि नामें सुंदरासू होतउ आलोयह कम्मभंगि हउँ पोमावइ पिय गयवरासु । वीया मलया मयणालसंगि। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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