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सिरिचंदविरइयउ
[ ४१..१४. ६-- तहिँ ज दियह पसूय सुउ जायउ
सोहणलक्खणलक्खियकायउ । हुउ मेदज्जहँ पल्लिहे जेण जि
किउ मेदज्जु नामु तो तेण जि । वड्डिउ सुंदरु दिणि दिणि बालउ
हुउ संपुन्नउ नाइँ कलालउ । नायवसू जा फडहत्थयपिय
सा सग्गाइय जणनयणप्पिय । तेत्थु जि पुरि जिणधम्मविहीणही
धणसिरिभायो भवसिरिसेणहो। १० नारिश नायसिरिए तिलयाइय
सुंदरि निरु सुंदरि सुय जाइय । घत्ता-ता पल्लिहे सा पट्टणी आणेवि सुवायए ।
पढहुँ समप्पिय पाढयहाँ मन्नार्वेवि मायण ।।१४।।
एक्कत्थहिँ ता तासु पढंतहो लोयथुप्रो मामहो सुयए ताण समेउ सणेहु हुनो। पुव्विल्लह भवकयसंबंधेण वसंतभरे एक्कहिँ दियहिं भवसिरिसेणो तणए जि घरे। धणसिरीह सुउ तिलयाइयसुंदरीश सहिउ कामुव रइएण जि डोल्लहरम्मि समारुहिउ । रूसेवि सई वणिणा ता विप्पिएण भणिवि मेदज्जु तो उत्तारिउ पाएणाहणिवि । किं छिवहि सुया तुहुँ मेच्छहिँ इहु विट्टालियउ नीसरु घरहो पुणु देवि दोसु निक्कालियउ । एमेवमाइयहिँ गंपिणु तेण कहिय वयणा निसुणेवि हुया सा तें दुक्खें संसुयनयणा । अच्छंतु मणे ता तिलयासुंदरि संभरइ . मेदज्जु तहिं एक्कहिँ वि पदेसि न रइ करइ। पुणु एक्कहिँदिणि सोएवि सेट्टिो लग्गियउ नियपुत्ति महुं पुणु देहि विवाहहुँ मग्गियउ। तेण वि भणियो पुणु पुत्तिपमाणिय कंचणिया जइ पडिम महुं तुहुँ देहि देमि तो नंदणिया। निसुणेवि एउ जाएवि जणणिहे वज्जरिउ रोवंतियए ताइ वि कहिउ तासु चरिउ।१०
घत्ता--छड्डि एह तत्ति तणय सो खलु मायारउ ।
किं कन्ना मारावियउ तें ताउ तुहारउ ॥१५।।
कियउ अखत्तु हयासें घरु ल्हूसावियउ पइँ थिण उवरि पलाएवि पल्लिहे पइसरिया पव्वएण निव्वाहिय नामें एण तुह ता मेदज्जु पइज्ज करेप्पिणु नीसरिउ तेत्थ चडेवि कराडिहे जामप्पइँ घिवइ तेणाउच्छिउ रिसिणा होइवि कवणु दुहु भासइ सो सुय मामही लहिमि न किं करमि
रायपसाएँ एहु पहुत्तणु पावियउ । एत्थु जि जायउ वड्डिउ तुहुँ हउँ नित्थरिया। कहिँ पावमि चामीयरपडिम पसन्नमुह । एकल्लउ मरणु मणेवि महावणु पइसरिउ । तामायउ तियसेसरु अच्चयकप्पवइ । ५ जेण जुवाणु जि पुत्तय मग्गहि मरणु तुहु । तेणहिमाणे मुणिवर जीविउ परिहरमि ।
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