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________________ ३६० ] सिरिचंदविरइयउ [ ४०. २. १०घत्ता-तेण वि दिन्नुवएसु रोयाउरचित्ताहरे । सव्वरुयाहरु तेल्लु अत्थि सोमसम्मो घरै ।।२।। ५ तं मग्गिवि आणहि पहयवाहु पन्नप्पइ जेण तुरंतु साहु । गंतूण तत्थ वयणेण एण मग्गिय चुंकारिय तेल्लु तेण । सा भणइ सेट्ठि घरि पइसरेवि लइ मक्खणु नियभंडण करेवि । ता लेंतहो हत्थहो निच्छुडेवि कुंभिणिहे कुंभु छुट्टउ पडेवि । भीएण पयासिउ सूणिवि ताण लइ अवरु पयंपिउ कयखमाए । अवरु वि गेण्हंतही पढमु जेम गउ भज्जिवि बीयउ तइउ तेम । लइ लेहि चउत्थउ पुणु वि ताण वणि भणिउ हसेप्पिणु कयखमाए । विभियमणु पुच्छइ काइँ एउ कहि केम वि नावइ तुज्झ खेउ । घत्ता--भासइ सा रोसेण मइँ महंतु दुहु पत्तउ । जावज्जीविउ तेण रूसेवउ परिचत्तउ ॥३॥ सुणु सेट्टि कहमि विसयम्मि मोढि आणंदणयरि धणकणयपोढि । बंभु व चउवेयसंडगजाणु सिवसम्मु अत्थि बंभणु पहाणु । कमला कमला इव तासु भज्ज सिवभूइयाइ जाया मणोज्ज । सुय अट्ट ताप णवमी कुमारि भद्दा नामेण जुवाणमारि । हउँ पाणपियारी पिउहे सुठ्ठ मइँ समउ को वि जंपइ न दुर्छ । ५ केण वि कयाइ प्रालिउ करंति विरुएण भणिय आगय रुयंति । साहारिवि सुहि जंपिय पिएण ताएण वुत्तु सो विप्पिएण । रायो कहिऊण मणोहरम्मि देवाविउ ढंढोरउ पुरम्मि । चुंकारइ' जो सिवसम्मपुत्ति पुहईसु तासु चिंतइ अजुत्ति । तो दिवसही लग्गिवि हयमएण चुंकारइ को वि न निवभएण। १० घत्ता--अच्चुंकारिय एउ नामु मझु विक्खायउ । तइयहुँ किउ लोएण अत्थवसेण समायउ ॥४॥ न कयावि भणेवी विप्पिएण एत्थाणिय ससिसम्मेण सेट्ठि ४. १ तुंकारइ। पडिवज्जिवि परिणेप्पिणु पिएण। अच्छमि सुहेण कयसुयणहिट्ठि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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