________________
३७. ७. ८ ]
एत्त तो तवचरणु सुणेपिणु निरवसे मंडलु खाएप्पिणु जणु प्रादन्नर पहु चिंताविउ होइ एत्थ जइ पुत्तु महारउ तो कि एहावत्थ परावइ धीरिउ वेस धीरमइन पहु
बहुवेसा हि सहिय निवपुज्जिय पव्वयतलि संकेउ करेप्पिणु सहिँ सहिय उवरि चडेप्पि भयवं एक्कथेरि अणुराइय चहुँ सक्कंती तलि प्रच्छइ एह पसाउ करेवि पडिच्छह उ सुप्रियाणियमायउ ता विरइयपवंचहिँ तिह किउ आणि घरहो नरेसरु रंजिउ नट्ठासत्तु सव्व जणु तुट्ठउ घत्ता-
Jain Education International
कहको
घत्ता - उ सुणेवि निवेण सा परिप्रोसें पुज्जिय । हिम वित्तु एम भणेवि विसज्जिय ॥५॥
पयडमि पारासरहो कहाणउ ते जयंतीपुर विस सेणहो विसरूवमवि हूई तवई नामें सुम्मइ सत्थ रिउवई पइँ एम करेवउ तुरिउ गएण वि पडिप्रावेव उ एम होउ भणिऊण विवाहिय रिउसमयं तरु पडिवालंतउ
२४
गरि चिरखेरि सरेप्पिणु । थिय बलेण पट्टणु वेढेप्पिणु ।
महणावत्थ समुदु व पाविउ । कुच्चवारु अरिनियरनिवारउ । एउ भणंतु सुवि धरावइ । प्राणमि तुह सुउ वइरिगलग्गहु ।
७
-- तिह पारासरुरुदु सच्चइ सच्चहो चलियउ । महिलहे लग्गवि को न कामपिसाएँ छलियउ ||६||
[ ३६६
गय वियड्ड होएप्पिणु प्रज्जिय । पोढ विलासिणि एक्क थवेष्पिणु । भणिउता मुणिपय पणवेष्पिणु । वंदणहत्ति एत्थु पराइय । पेच्छहुँ तुह पयपंक वंछइ । वंदन त
सीस पयच्छह । तलु ता समीवि समायउ । जिह रइसंगें वयभंगहो निउ । वीरें वइरिमडप्फरु भंजिउ ।
कुच्चवारु मुणि एम विणट्ठउ ।
For Private & Personal Use Only
५
१०
५
१०
गयउरे संवरु नामें राणउ । राहो वइरिविहंगमसेणहो । धीय सलक्खण सुट्ठ सुरूई । परिणिय एयारिसग्र अवत्थ । जें विणु न कहि मि जाएवउ । ५ निच्छउ एयहे वासउ देवउ । राजसुय व्व गुणाहिय । जामच्छर पहु भोयासत्तउ ।
www.jainelibrary.org