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३६. ५. ३ ] .
कहकोसु ।
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उत्तरिवि महानइ तेयवेय
पइसेप्पिणु वेत्ताडइ अमेय । लंघेप्पिणु टंकणगिरि महंतु
गउ टंकणविसयो चारुदत्तु । तहिँ विनि पोढ मेंढय लएवि
अजमग्गें अचलोवरि चडेवि । हरदत्तें वुच्चइ चारुदत्तु
हणु मिंढउ हणइ न करुणचित्तु । पाविढे वारंतहो वि तासु
किउ तेण उरभहे पाणनासु । दिन्नउ वणिउत्तें कन्नजाउ
पसु मरिवि अमरु सोहम्मि जाउ । विनि वि जण खल्लहँ पइसरेवि
थिय निहुय होवि तणु संवरेवि । भेरुंड वियप्पिवि मंसपिंड
गय गयणंगणि लेप्पिणु पयंड । मणिदीवहो अहिमुहि जति जाम
अंतरि अवरेक्के एवि ताम । पत्ता-पक्खें पक्खि हउ जुझंतहँ नहे निच्छडियउ ।
रुद्ददत्तु गिलिउ पार्वण भवन्न वि पडियउ ॥३॥
गउ णरयावासहो सत्तमासु
पाविठ्ठो अह उड्ढगइ कासु । एत्तहि उत्तारिवि' गिरिवरम्मि
किर खाइ पक्खि दीवंतरम्मि । ता फाडेवि खल्ल विणिग्गएण
भेसाविउ खगु नट्ठउ भएण । बहि आयावणे थिउ गुणगरिठ्ठ
मुणि एक्कु चारुदत्तेण दिछ । सामीवि गंपि हरिसियमणेण
रिसि नमिउ सुहद्दानंदणेण ।। तेणावि कुसलु आसीस देवि
पुच्छिउ वच्छल्लें नामु लेवि । नियनामु सुणेप्पिणु विभिएण
मुणि भणिउ सुमित्तमईपिएण । परमेसर पालियपरमनिट्ठ
तुम्हइँ मइँ कत्थइ आसि दिट्ठ । किय धम्माहम्मविचारणेण
दिट्ठा बोलिज्जइ चारणेण । घत्ता-परिणा रुक्खम्मि खीलिउ खयरु निरिक्खिउ ।
चंपाउरि मित्त सो हउँ ता पइँ रक्खिउ ॥४॥
मेल्लाविउ पइँ हउँ तक्खणेण ता एंतु निएप्पिणु हीणसत्तु हउँ तत्थायउ लेविण कलत्तु ४. १ उत्तरिवि ।
कुढि लग्गउ पियहि णहंगणेण । भयभीउ पणट्ठउ कहि मि सत्तु । पइँ पुच्छिवि गउ नियनयरु पत्तु ।
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