SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 496
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३६. ५. ३ ] . कहकोसु । [ ३६१ ५ उत्तरिवि महानइ तेयवेय पइसेप्पिणु वेत्ताडइ अमेय । लंघेप्पिणु टंकणगिरि महंतु गउ टंकणविसयो चारुदत्तु । तहिँ विनि पोढ मेंढय लएवि अजमग्गें अचलोवरि चडेवि । हरदत्तें वुच्चइ चारुदत्तु हणु मिंढउ हणइ न करुणचित्तु । पाविढे वारंतहो वि तासु किउ तेण उरभहे पाणनासु । दिन्नउ वणिउत्तें कन्नजाउ पसु मरिवि अमरु सोहम्मि जाउ । विनि वि जण खल्लहँ पइसरेवि थिय निहुय होवि तणु संवरेवि । भेरुंड वियप्पिवि मंसपिंड गय गयणंगणि लेप्पिणु पयंड । मणिदीवहो अहिमुहि जति जाम अंतरि अवरेक्के एवि ताम । पत्ता-पक्खें पक्खि हउ जुझंतहँ नहे निच्छडियउ । रुद्ददत्तु गिलिउ पार्वण भवन्न वि पडियउ ॥३॥ गउ णरयावासहो सत्तमासु पाविठ्ठो अह उड्ढगइ कासु । एत्तहि उत्तारिवि' गिरिवरम्मि किर खाइ पक्खि दीवंतरम्मि । ता फाडेवि खल्ल विणिग्गएण भेसाविउ खगु नट्ठउ भएण । बहि आयावणे थिउ गुणगरिठ्ठ मुणि एक्कु चारुदत्तेण दिछ । सामीवि गंपि हरिसियमणेण रिसि नमिउ सुहद्दानंदणेण ।। तेणावि कुसलु आसीस देवि पुच्छिउ वच्छल्लें नामु लेवि । नियनामु सुणेप्पिणु विभिएण मुणि भणिउ सुमित्तमईपिएण । परमेसर पालियपरमनिट्ठ तुम्हइँ मइँ कत्थइ आसि दिट्ठ । किय धम्माहम्मविचारणेण दिट्ठा बोलिज्जइ चारणेण । घत्ता-परिणा रुक्खम्मि खीलिउ खयरु निरिक्खिउ । चंपाउरि मित्त सो हउँ ता पइँ रक्खिउ ॥४॥ मेल्लाविउ पइँ हउँ तक्खणेण ता एंतु निएप्पिणु हीणसत्तु हउँ तत्थायउ लेविण कलत्तु ४. १ उत्तरिवि । कुढि लग्गउ पियहि णहंगणेण । भयभीउ पणट्ठउ कहि मि सत्तु । पइँ पुच्छिवि गउ नियनयरु पत्तु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy