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३४. १४. ४ ],
आय हे नामेण महासइहे इय घरि घरि वन्निज्जंति सया पेसिय पडिहारे सा सपई निसुणइ दिट्ठवणियावयणु
ان
परियार्णव पहुणा तहे झुणिउ
गाहा -दरियारिदप्पभंजण परमेसर जणियजणमणाणंद | दुत्थियकप्पमहीरुह जसधवल चिरं तुमं जीय ।
इ भणिव देवि धणु ताहे बहू
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कहको
बाहूदो सोणियं पीदं कालिंदीए अहं
प्रत्थि एत्थ पुहईपुरि राणउ तो पाइक्कु परज्जियपरबलु गोवइ नाम नाइँ जमदूई गामि पलासकूडि पट्टइलहो दिन विहाहहुँ सा सविहोएँ कुलईस रियरूवगव्वियमइ खलसहाव छंदेन पयट्टइ एक्कहिँ दिणि उद्देइउ गामहो तत्थ सुहद्दा नाम विसेणहो
धत्ता - सीहबलु वि सइरिणिय गोवई रुट्ठा
अंतरि विग्घभएण चडेप्पण तत्थ वि चोरविंदु भेसाविउ निसिनिग्गमि मंदिर प्रवेष्पिणु अवरहिँ वासरम्मि विच्छोइउ
१२. जरूदो ।
२ पदिव्वदो ।
रिसइ जलु वविउ एइ सइहे । एक्कहिँ दिने रायवारु गया । थिउ ता कवडंतरि भूमिवई । उच्चरिउ ताप आसीवयणु ।
ऊरुदो' खादिदं पलं । छूढो साधु देवि पदिव्वदे ॥
परिहरिवि रज्जु पव्वइउ पहू । समउ सवत्ति मारिउ । वइवसपुरु पइसारिउ ॥१२॥ १३
फेडेपणु अंतरवडु भणिउ ।
घत्ता - प्रायन्नप्पिणु वत्त जोप्रवि रोसें रतिर्ह । आगय गोवइ लेवि सीसु छलेण सवत्तिहे ॥ १३॥
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गोविंदु व गोविंदपहाणउ । दससयभडु नामेण महाबलु । तासुपुत्ति सिरिकंत हुई । पहुवयणेण तेण सीहबलहो । किउ परमुच्छर बंधवलोएँ । रुच्च तासु ण
म वि गोवइ । कवि न फिट्टइ । उ सीहबलु समीहियकामहो । परिणिय धीय तेण हरिसेणहो ।
थिय वडपायवि निहुय हवेष्पिणु । होवि रक्खसी धणु पाविउ । थवियउ मत्थउ तेल्लि तलेपिणु । आइउ गहवइ कालें चोइउ ।
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