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३४. १०. २ ] .
कहकोसु. करइ वउक्खउ वल्लह तें तिय
पच्छायइ दोसहिँ तेणेत्थिय । आलु पउंजइ पियहो पियाली
माणु महइ तें भणिय महेली। घत्ता-मायबप्पु पिउ पुत्तु विसयंधा अवगन्नइ ।
कुणइ अकज्जसयाइँ कुलपरिहास न मन्नइ ॥७॥
मारइ मारावइ सइँ मरइ
तं नत्थि जं न तियमइ करइ । आयनह रत्तइँ रत्तमई
जउणद्दहि घल्लिउ देवरई। एत्थत्थि विणीदादेसि वरु
सुरपुरु व अउज्झा नाम पुरु । तहिँ करइ रज्जु पहु देवरई
तहो रत्ता देवि गइंदगई। सा चेय भणिज्जइ मित्तमई
अच्छइ सहुँ ताइँ नराहिवई । दूरुज्झिय रज्जकज्जकरणु
न विहावरि जाणइ नेव दिणु । संजायउ परचक्कागमणु
थिउ अवहत्थिवि मंतियवयणु । सव्वहिँ मिलेवि नीसारियउ
तहो तणउ रज्जि वइसारियउ । सहुँ मित्तमईग्र पइठ्ठ वणु
तहिँ ताहि पियास तवियतणु । घत्ता-अलहंतें जलु तेण कड्ढेप्पिणु नियसोणिउ ।
उसहिबलेण करेवि पाइय पिययम पाणिउ ॥८॥
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हुय सत्थुप्पाइय मित्तमई
संपत्तउ सिरिपुरु देवरई। तहिँ मुणिवि जणेण महापुरिसु
दिन्नउ धणु भवणु जणियहरिसु । किन्नररइ नामें गुणनिलउ
वावीघरि निवसइ पंगुलउ । तहो गेयासन्नइ ताण पई
वंचिउ पावाए अण्णमई। सहुँ तेण करेप्पिणु मंतणउ
तुज्झज्ज वरिसवद्धावणउ। दुट्ठाण रुएवि पवंचु किउ
ण्हाणहुँ पिउ जउणायडहो निउ । मालाश नहारुपगुत्थियए
वेढेवि निरंतरु इत्थियए। मंगलु गायंतिण पेल्लियउ
सहसत्ति महादहि घल्लियउ । घत्ता--अप्पणु पंगुलएण सहुँ सुहेण थिय गंपिणु ।
एत्तहे ताम नरिंदु गउ सोदेण वहेप्पिणु ।।९।।
तोडिउ मच्छेहिँ नहारुगुणु चिंतापवण्णु छायाबहले
पत्तउ मंगलउरु झीणतणु । वीसमइ जाम तहिँ तरुहँ तले ।
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