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३०. २१. १० ]. कहकोसु
[ ३१५ गउ घरु विमणु निएप्पिणु मायन
पुच्छिउ पव्वउ वच्छलवाया। आवहि निच्चमेव सुच्छायउ
अज्जु सुपुत्त काइँ विच्छायउ । दीसइ सयवत्तु व पप्फुल्लिउ
अज्जु काइँ तुह मुहु अोहुल्लिउ । तेण वि वइयरु कहिउ सुणेप्पिणु
पभणइ मायरि सिरु विहुणेप्पिणु । घत्ता हा सुय विरुय पइज्ज किय तुह ताउ सइत्तउ ।
अय तिवरिस जववीहिकण सुउ वक्खाणत्तउ ॥१९॥
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हउँ मिच्छाहिमाणदप्पें हउ जाणतेण वि दुक्कियगारी
किय पइज्ज मइँ जीवियहारी । कहसु केम एवहिँ किं किज्जइ
एउ सुणेवि ताण वोल्लिज्जइ । अत्थि उवाउ एक्कु प्रोलग्गमि
गंपिणु वसु पुहईहरु मग्गमि । आसि दिन्न गुरुदक्खिण सारी
पुज्जइ जेण पइज्ज तुहारी । एम भणेवि माय वसुरायो
गय सामीवु भुवणविक्खायहो । तेण वि कणयासणि वइसारिय
पणवेप्पिणु पडिवत्ति समारिय । पुच्छिउ कहसु माय किं किज्जउ
भणिउ ताप गुरुदक्खिण दिज्जउ । तं निसुणेप्पिणु वसुणा वुत्तउ
जं भावइ तं मग्गि निरुत्तउ । घत्ता-भासिउ ताण पहाइ इह संगहियकसाएँ।
नारय पव्वय वे वि जण आवेसहिँ वाएँ ॥२०॥
तुहँ पमाणु किउ पइँ न हणेवउ पत्तिउ मग्गियो सि अणुराएं दिन्नासीसवयण परिपुज्जिय ता ते पसरि वे वि तत्थाइय नारएण वसु सच्चे साविउ जाणतेण वि एउ अजुत्तउ अह उवरोहे काइँ न किज्जइ सहुँ सीहासणेण खडहडियउ पभणइ नारउ अज्ज वि सच्चउ पुणरवि तेण तं जि आहासिउ
पव्वयवयणु पमाणु करेवउ । ता पडिवन्नु वयणु वसुराएं। पणवेप्पिणु गुरुभज्ज विसज्जिय । सम्माणिय निवेण गुरुदाइय । तेण वि ताहँ वयणु परिभाविउ । ५ पव्वयवयणु पमाणु पउत्तउ । किं अन्निं नियसीसु वि दिज्जइ । वसु अलिएणायासहो पडियउ। चवहि नरिंद नियच्छहि पव्वउ । चलइ मणा वि न पव्वयभासिउ। १०
२१. १ भराएं।
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