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३०. १२. १० ]. कहकोसु
[ ३११ तुह सुउ मंदबुद्धि किं कीरइ
नियमइ अन्नो देहुँ न तीरइ । घोसंतो बहुदिणहिँ निरंतर
एयहो एइ कि पि पउ अक्खरु । एरिसु वार वार अक्खइ पइ
तो वि न थक्कइ गरहंती सइ । घत्ता हक्कारिवि एक्कह दियहे चितवियउवाएं ।
घरिणिहे पच्चयत्थु' भणिय ते तिन्नि वि ताएं ॥१०॥
गंपिणु हट्ट कवड्डा देप्पिणु
भक्खिवि चणयावह ते लेप्पिणु । तं निसुणेविण चिंतइ पव्वउ
ताउ गहिल्लउ न वियाणइ नउ । खावि चणय कवड्डा आणहुँ
उक्कुरु' देंति पसारिय जाणहुँ । इय चिंतेवि वराडय देप्पिणु
आगउ सो चणया खाएप्पिणु । एत्तहिं सुंदरबुद्धि विसारय ।
गय हट्टो विन्नि वि वसुनारय । ५ वणियहाँ तत्थ कवड्डा देप्पिणु
गेण्हिवि चणय थोव खाएप्पिणु । लेहुँ न ए विरूव पभणेप्पिणु
तहो जि समप्पिवि सुव्वा लेप्पिणु । प्राणिवि ढोइय गुरुहे नवेप्पिणु
ते निय निय वइयरु पुच्छेप्पिणु । सत्थिमईहे वयणु जोएप्पिणु
भासिउ भट्टे ईसि हसेप्पिणु । पेच्छहि नियपुत्तहो मुक्खत्तणु
एयहँ तणउ कंतं धुत्तत्तणु। १० घत्ता-अन्नहिँ वासरि ताहँ पुणु एक्केक्कु समप्पिउ ।।
समउ कवड्डएहिँ घडउ उवझाएँ जंपिउ ॥११॥
पुत्तहो हट्टि एउ धणु देप्पिणु सहुँ मोल्लेण लेवि एत्थावह तं निसुणेप्पिणु पुव्वकमे पुणु आणवि तुप्पहो कुंभ समप्पिय तो वि न थक्कइ सा गरहंती तुह सुउ सिंगहीणु पसु सच्चउ एम भणेप्पिणु ताणेक्केक्कउ भासिउ न निहालइ काइ वि जहिं तं निसुणेप्पिणु पव्वउ रन्नो तत्थ उरब्भो कन्न लुणेप्पिणु १०. १ एच्चयत्थु ।
ए तिन्नि वि घड घियहां भरेप्पिणु नियमइविहवु मज्झ दरिसावह । तेहिँ पयासिउ निय निय मइगुणु । पुणु पुव्वुत्तु वुत्त विप्पें पिय । अन्नहिँ दियहिँ दिएण पउत्ती। ५ लइ अवरु वि दक्खालमि पच्चउ। सहुँ सत्थेण समप्पिवि बोक्कउ । कन्न लुणेवि एह एयहँ तहिँ । गउ नाणाविहतरुसंछन्नहो ।
आगउ तायहाँ कहिउ णवेप्पिणु । १० . ११. १ दुक्कुरु।
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