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________________ ( २२ ) ४८ , , वसुमित्र ६६ ११,१ द्रव्यदत्त । ६७ ११,४ जिनदत्त मादि ६८ ११,५ लकुच कुमार ६६ ११,७ पद्यरथ नृप ७० ११.१० ब्रह्मदत्त चक्री ७१ ११,१३ जिनदास ७२ ११,१६ जिनमती प्रेमानुराग मज्जानुराम धर्मानुराग जिनभक्ति दर्शनभ्रष्ट दर्शन दृढ़ता xxx ७४३ ५४ ह. क. में नाम 'रुद्रदत्त प्रिया-प्रबोध कथा। , फल ७५२ . ५८ (श्लोक ६६) (श्लोक ११२) ७६२ ७७५ ७७६ ६२ ह. क. में दृढ़सूर्य " , श्लोक २१ ७३ १२,१ श्रेणिक नृप सम्यक्त्व शुद्धि ७४ १६,१ करकण्ड नृप जिनभक्ति ७५ १६,१ रोहिणी ७६ २१,१ क्षीरकदम्ब भील गुरुभक्ति ७७ २१,७ धन्वन्तरि चोर ७८ २१,१३ जिनदास सेठ ७६ २१,१५,६ पद्मरथ नृप ८० २२,१ सुभग गोपाल नमोकार मंत्र सुदर्शन सेठ ८१ २३,१ यम मुनि शास्त्र भक्ति ८२ २३,७ दृढसूर्प चोर ८३ २३.१० उदितोदित नृप मर्यादा पालन ८४ २३,१३,५सुयोधन नृप व मर्यादापालन तलवर की ७ कथायें ८५ २३१,६,८हंस कथा १ ८६ २३,१८ कुलाल २ मृत्तिका से हानि ८७ २३,१८,८वरधर्म नृप ३ नरबलि ८८ २४,१ मृग ४ सर्वत्र विष और पाश ८६ २४,१,५ चित्रकवि ५ जीवनदायी जल से हानि ८६ २४,१,१४सुभद्र नृप ६ भक्षक ही रक्षक ६० २४,२ यशोभद्र वणिक् ७ माता का वस्त्र ६१ २४,४ अर्हदास सेठ सम्यक्त्व प्राप्ति व अंजन चोर ६२ २५,१ मित्रश्री ६३ २५,११ खंडश्री ६३ (श्लोक १३३) , (श्लोक १६६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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