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सिरिचंदविरइयउ
[ २३. १२ १
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विप्फारियपहु नहयलि ण माइ
उग्गउ ससि एम भणंतु नाइ । रवि अग्गइ पच्छइ चंदु लग्गु
सहसयरहो वि करपसरु भग्गु । चंदेण वि जिप्पइ सूरु जित्थु
बलवंतउ अन्नु न कम्मु तेत्थु । सामन्नु वि पाविवि कालसत्ति
पवियंभइ एत्थु न कावि भंति । बलवंतु न जीवइ परिहवेण
अत्थमिउ नाइँ दिवसयरु तेण । हुश मित्तहो मरणि समाउलेण
रुन्नु व सदुक्खु नहयरकुलेण । जाणेवि समिद्धउ परियणेण
परियरिउ राउ तारायणेण । विहडिउ पुणु पुनहिँ मिलइ सव्वु गयपुन्नहीं करगउ गलइ दव्वु । पसरिय सव्वत्थ वि चंददित्ति
निरु निम्मल नं सप्पुरिसकित्ति । घत्ता--ता पहुणा सुमरिवि पिय निसि मंति पउत्तउ ।
____ एहि जाहुँ वणु जुवइजणु पेच्छहुँ कीलंतउ ॥१२॥
५
सुर्णवि पयपइ बुद्धिसमिधदु
पई जि वियक्खण एउ निसिद्ध । करेहि जई समियारहि भगु
हवेइ न तो फुडु किं चि वि चंगु । निवारिउ तो वि न थक्कइ' राउ पियाणणदंसणवड्डियराउ । . वियाणिवि सामिहे जाय कुबुद्धि हियत्थु पुणो वि भणेइ सुबुद्धि । न किज्जइ एउ कयावि मुणेहि
अहाणउ एक्कु कुलीण सुणेहि। कए पहु पासि अमंगलु जाउ
करिंदपुरम्मि सुजोहणु राउ। अराइगिरिंदसुराउहघाउ
कयाइ चव्विहसेन्नसहाउ । गो परएसहो संगरि सत्तु
जिणेप्पिणु लेप्पिणु कण्णु नियत्तु । पराइउ मंदिरु पुननिरोउ
समागउ पेक्खहुँ पट्टपालोउ । घत्ता–पय पणवंतु असेसु सुहदिट्ठी नियच्छिउ ।
राएं ढोइयवत्थु सउँ सम्माणवि पुच्छिउ ।।१३॥
१४
निरुवद्दव थिय तुम्हइँ सुहेण पहु पायपसाएँ तलवरासु १२. १ विहिडिउ।
भासिउ जणेण पहसियमुहेण । सुहु सव्वहँ सव्वावइहरासु ।
१३. १ थथुइ।
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