SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 389
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५४ ] सिरिचंदविरइयउ [ २३. १२ १ १२ ५ विप्फारियपहु नहयलि ण माइ उग्गउ ससि एम भणंतु नाइ । रवि अग्गइ पच्छइ चंदु लग्गु सहसयरहो वि करपसरु भग्गु । चंदेण वि जिप्पइ सूरु जित्थु बलवंतउ अन्नु न कम्मु तेत्थु । सामन्नु वि पाविवि कालसत्ति पवियंभइ एत्थु न कावि भंति । बलवंतु न जीवइ परिहवेण अत्थमिउ नाइँ दिवसयरु तेण । हुश मित्तहो मरणि समाउलेण रुन्नु व सदुक्खु नहयरकुलेण । जाणेवि समिद्धउ परियणेण परियरिउ राउ तारायणेण । विहडिउ पुणु पुनहिँ मिलइ सव्वु गयपुन्नहीं करगउ गलइ दव्वु । पसरिय सव्वत्थ वि चंददित्ति निरु निम्मल नं सप्पुरिसकित्ति । घत्ता--ता पहुणा सुमरिवि पिय निसि मंति पउत्तउ । ____ एहि जाहुँ वणु जुवइजणु पेच्छहुँ कीलंतउ ॥१२॥ ५ सुर्णवि पयपइ बुद्धिसमिधदु पई जि वियक्खण एउ निसिद्ध । करेहि जई समियारहि भगु हवेइ न तो फुडु किं चि वि चंगु । निवारिउ तो वि न थक्कइ' राउ पियाणणदंसणवड्डियराउ । . वियाणिवि सामिहे जाय कुबुद्धि हियत्थु पुणो वि भणेइ सुबुद्धि । न किज्जइ एउ कयावि मुणेहि अहाणउ एक्कु कुलीण सुणेहि। कए पहु पासि अमंगलु जाउ करिंदपुरम्मि सुजोहणु राउ। अराइगिरिंदसुराउहघाउ कयाइ चव्विहसेन्नसहाउ । गो परएसहो संगरि सत्तु जिणेप्पिणु लेप्पिणु कण्णु नियत्तु । पराइउ मंदिरु पुननिरोउ समागउ पेक्खहुँ पट्टपालोउ । घत्ता–पय पणवंतु असेसु सुहदिट्ठी नियच्छिउ । राएं ढोइयवत्थु सउँ सम्माणवि पुच्छिउ ।।१३॥ १४ निरुवद्दव थिय तुम्हइँ सुहेण पहु पायपसाएँ तलवरासु १२. १ विहिडिउ। भासिउ जणेण पहसियमुहेण । सुहु सव्वहँ सव्वावइहरासु । १३. १ थथुइ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org .
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy