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२३६ ] सिरिचंदविरइयउ
[ २१. ११. ७हुउ मरेवि' सुरवरहिँ नविज्जइ
भणु जिणधम्मु कासु उवमिज्जइ । इयरु वि पढमकप्पसपसाहणु
करि विज्जुप्पहदेवहीं वाहणु । नंदीसरजत्ता नियच्छिउ
अच्चुयवइणा चिरकयकुच्छिउ । घत्ता--बोल्लावियउ गउ कयसोक्खविरामहो ।
पत्तउ मित्त फलु मिच्छापरिणामहो ॥११॥
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५
१२ ता विस्साणुलोमचरु भासइ
मिच्छादिट्ठि ससमउ पसंसइ । मइँ प्रायम'-जुत्ती सुहंकरु
किउ न महाएवो तउ दुद्धरु । हुउ तेणेरिसु भो अच्चुयवइ
महु समए वि हु अत्थि महाजइ । जइ जमय ग्गिपहूइ पसिद्धा
दुसह महातवजोयसमिद्धा । ते तुम्हहँ वि पासि अहिययरा
होसहिँ सव्वहँ सोक्खजणेरा। भणइ सुरेंदु ते वि संसयमइ
तेण तवेण लहेसहि दुग्गइ। इयरेणुत्तु अप्पसंभूसणु
परनिंदणु सप्पुरिसहो दूसणु । इंदें भणिउ सरूवु भणिज्जइ
अम्हारइँ न को वि निदिज्जइ । जइ पत्तियहि न तो दक्खालमि
एहि अणिच्छयमलु पक्खालमि । घत्ता--एव भणेवि सुर विसहियपंचग्गिहे ।
गय सामीवे तो वेनि वि जमयग्गिहे ।।१२।।
विहिँ मि परोप्परु सो खब्भालिउ पेच्छह एउ न याणइ मूढउ जइ सुय सुहगइ देहुँ समत्था जइ पुत्तेहिँ सुगइ पाविज्जइ उप्पहम्मि जाणंतु वि लग्गउ कन्नाउज्जि कामिरायहो सुय उप्पन्नउ तह पुत्तु पियारउ तामेत्तहे निम्मलसम्मत्ते भूयदिवसि भुक्खिरसिवसाणप पडिमाजोएँ निच्चलचित्तउ
पक्खिपवंचु करेप्पिणु चालिउ । को नंदणहिँ सग्गि प्रारुढउ । तो मंकुणकिडिसुणहँ समत्था । तो तउ दाणु सीलु किं किज्जइ । ताण वयणु निसुणेप्पिणु भग्गउ। ५ पत्थिवि तेण विवाहिय रेणुय । परसुरामु खत्तियखयगारउ रायगेहिनयरोवरि जंतें। निसि जिणयासु वणीसु मसाण । आलोएप्पिणु मित्तु पउत्तउ । १०
१२. १ प्रायस ।
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